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शुभेंदु अधिकारी का दावा- बंगाल की मतदाता सूची में 1.25 करोड़ अवैध प्रवासी

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हमें फॉलो करें Shubhendu Adhikari's claim regarding West Bengal voter list

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

कोलकाता , शनिवार, 26 जुलाई 2025 (19:03 IST)
Shubhendu Adhikari News : नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने शनिवार को दावा किया कि पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची में 1.25 करोड़ अवैध प्रवासी हैं और विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के बाद उन सभी को वापस भेज दिया जाएगा।अधिकारी ने कहा कि धार्मिक उत्पीड़न के कारण पलायन करने वाले हिंदुओं को इस प्रक्रिया को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, यदि बिहार में सूची से लगभग 50 लाख नाम बाहर किए गए, तो बंगाल में ऐसे नामों की संख्या 1.25 करोड़ तक हो सकती है। अधिकारी ने कहा, इस बार मुख्यमंत्री को कोई नहीं बचा पाएगा। सारी लूट-खसोट और भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा।
 
पूर्वी मेदिनीपुर जिले के तामलुक में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अधिकारी ने कहा कि धार्मिक उत्पीड़न के कारण पलायन करने वाले हिंदुओं को इस प्रक्रिया को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, यदि बिहार में सूची से लगभग 50 लाख नाम बाहर किए गए, तो बंगाल में ऐसे नामों की संख्या 1.25 करोड़ तक हो सकती है। एसआईआर के बाद पश्चिम बंगाल में सभी बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को वापस भेज दिया जाएगा।
अधिकारी ने कहा, इस बार मुख्यमंत्री को कोई नहीं बचा पाएगा। सारी लूट-खसोट और भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा। फर्जी मतदान की घटनाएं कम होंगी। जो लोग फर्जी मतदान करते थे, उन्हें बाहर कर दिया जाएगा। उन्होंने सरकारी अधिकारियों को ईमानदारी से काम करने की चेतावनी दी और कहा कि ऐसा न करने वाले जिला स्तर के अधिकारियों को परेशानी होगी। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने उनकी टिप्पणियों को सांप्रदायिक बयानबाजी बताते हुए खारिज किया, जिसका उद्देश्य चुनाव से पहले मतदाताओं का ध्रुवीकरण करना है।
 
टीएमसी प्रवक्ता देबांग्शु भट्टाचार्य ने भाजपा को 1.25 करोड़ अवैध प्रवासियों की सूची निर्वाचन आयोग को सौंपने की चुनौती देते हुए पूछा, क्या वह वाकई इतनी बड़ी संख्या की पहचान कर सकते हैं? क्या शुभेंदु अधिकारी ने कभी रोहिंग्या को देखा है या जानते हैं कि वे कौनसी भाषा बोलते हैं? उन्होंने दावा किया कि एसआईआर का उद्देश्य विपक्षी दलों के समर्थकों को मतदाता सूची से हटाना है।
भट्टाचार्य ने कहा, इसका असर हिंदू और मुसलमान दोनों पर पड़ रहा है। बिहार में, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को वोट देने वाले कई यादवों का नाम मतदाता सूची से हटाया जा रहा है। अब वे बंगाल में भी यही कोशिश करना चाहते हैं, लेकिन यह कारगर नहीं होगा। उन्होंने कहा, बंगाली, हिंदू और मुस्लिम दोनों, अपनी भाषा और पहचान से एकजुट हैं। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour

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