नई दिल्ली। वर्ष का पहला सूर्यग्रहण ग्रहण भारतीय समयानुसार शाम 5 बजकर 40 मिनट पर शुरू हो गया। यह रात दस बजकर एक मिनट तक है। इसको भारत में आशिंक रूप से देखा जा सका। ग्रहण भारत में पूर्ण रूप से दिखाई नहीं दिया। भारत के अलावा यह सूर्यग्रहण दक्षिण अमेरिका, दक्षिण अफ्रीका, प्रशांत, अटलांटिक, और हिंद महासागर में देखा जा सका। सूर्यग्रहण एक खगोलीय घटना है। आज पांच बजकर 40 मिनट से शुरू होने वाले सूर्य ग्रहण को भारत में पहली बार शाम छह बजकर बजकर 45 मिनट पर देखा गया।
सूर्य ग्रहण रात के 8 बजकर 28 मिनट पर अपनी अधिकतम अवस्था में रहा, लेकिन भारत में इस समय रात के कारण दिखाई नहीं दिया। सूरज की ऐसी खगोलीय स्थिति मात्र एक मिनट 22 सेकेंड ही रही। रात 10 बजकर 01 मिनट पर सूर्य ग्रहण पूरी तरह से खत्म होना है। सूर्य ग्रहण के दौरान पृथ्वी के उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुव प्रभावित होते हैं, इसलिए यह अवधि ऋणात्मक मानी जाती है।
सूर्य से अल्ट्रावॉयलेट किरणें निकलती हैं जो एंजाइम सिस्टम को प्रभावित करती हैं, इसलिए सूर्यग्रहण के दौरान सावधानी बरतने की जरूरत है। सूर्य ग्रहण को कभी भी नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए। इसको देखने के लिए वैज्ञानिक प्रमाणित टेलीस्कोप का ही इस्तेमाल करना चाहिए। सूर्य ग्रहण को देखने के लिए वैसे लोगों ने फिल्टर चश्मे का भी इस्तेमाल किया। परंपरावादियों ने भगवान का जप-ध्यान किया।
पुरानी मान्यताओं के मुताबिक ग्रहण के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए। इसके अलावा ग्रहण के बाद स्नान भी ज़रुरी होता है। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान विशेष हिदायत दी जाती है कि वे बाहर ना निकलें ना ही ग्रहण को देखें। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक ग्रहण के दौरान दान करने से पुण्य मिलता है। हालांकि ये सारी चीजें महज मान्यताएं हैं और मॉर्डन साइंस इसे नहीं मानता है।
अगला ग्रहण : 26 फरवरी के बाद साल 2017 में दो और ग्रहण नजर आएंगे। इसमें एक चन्द्र ग्रहण होगा, तो दूसरा सूर्य ग्रहण। 7-8 अगस्त को हमें भारत में आंशिक चन्द्रग्रहण देखने को मिलेगा। इसे यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया से देखा जा सकेगा। जबकि 21 अगस्त को पूर्ण सूर्य ग्रहण लगेगा।