नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिपरिषद से रविशंकर प्रसाद, हर्षवर्धन और प्रकाश जावड़ेकर सहित 12 मंत्रियों की विदाई के बाद अब इन नेताओं के राजनीतिक भविष्य को लेकर कयास लगाए जाने लगे हैं। संभावना है कि इनमें से कुछ को भारतीय जनता पार्टी संगठन में अहम जिम्मेदारी सौंपी जाए। केंद्रीय मंत्रिपरिषद में बुधवार को हुए फेरबदल व विस्तार में भाजपा महासचिव भूपेंद्र यादव और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अन्नपूर्णा देवी सहित पार्टी संगठन में विभिन्न जिम्मेदारियां संभाल रहे 5 नेताओं को मंत्री बनाया गया है।
यादव को केंद्रीय श्रम एवं रोजगार के अलावा वन एवं पर्यावरण मंत्री भी बनाया गया है। वहीं अन्नपूर्णा देवी को शिक्षा राज्यमंत्री बनाया गया है। इन दोनों नेताओं के अलावा पार्टी के राष्ट्रीय सचिव विश्वेश्वर टुडु, राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव चंद्रशेखर और तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष एल मुरुगन को केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल किया है।
टुडु को जनजातीय कार्य मंत्रालय और जल शक्ति मंत्रालय में राज्यमंत्री की नई जिम्मेदारी मिली है, वहीं चंद्रशेखर को इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के साथ ही कौशल विकास मंत्रालय में राज्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई है। मुरुगन को मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी के साथ ही सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में राज्यमंत्री बनाया गया है। फिलहाल वह किसी सदन के सदस्य भी नहीं हैं, ऐसे में छह महीने के भीतर उनका किसी सदन में निर्वाचित होना जरूरी है।
भाजपा में एक व्यक्ति, एक पद का सिद्धांत लागू है, इसलिए माना जा रहा है कि सरकार में शामिल किए गए नेताओं की जगह संगठन में नए लोगों को जिम्मेदारी दी जा सकती है। यह संभावना जताई जा रही है कि प्रसाद, हर्षवर्धन और जावड़ेकर सहित केंद्रीय मंत्रिपरिषद से बाहर किए गए नेताओं को संगठन में भूमिका दी जा सकती है।
इन तीनों नेताओं के अलावा थावरचंद गहलोत, संतोष गंगवार, रमेश पोखरियाल निशंक, सदानंद गौड़ा, बाबुल सुप्रियो, देबश्री चौधरी, संजय धोत्रे, रतनलाल कटारिया और प्रतापचंद सारंगी को भी मंत्रिपरिषद से हटाया गया है।गहलोत को तो कर्नाटक का राज्यपाल नियुक्त कर दिया है, लेकिन उनके इस्तीफे से राज्यसभा में नेता सदन का पद भी खाली हो गया है। वह पार्टी की सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई संसदीय बोर्ड में लंबे समय तक दलित प्रतिनिधि के रूप में भी रहे हैं।
पार्टी संविधान के मुताबिक संसदीय बोर्ड में अध्यक्ष के अतिरिक्त 10 सदस्य होते हैं। पार्टी महासचिवों में से एक इस संसदीय बोर्ड का सचिव होता है। लेकिन वर्तमान संसदीय बोर्ड में सात ही सदस्य हैं। इनमें भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गड़करी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और संगठन महामंत्री बीएल संतोष शामिल हैं। संसदीय बोर्ड में भी तीन पद फिलहाल रिक्त हैं।
वर्तमान में भाजपा संगठन में भूपेंद्र यादव सहित आठ महासचिव, अन्नपूर्णा देवी सहित 12 उपाध्यक्ष और टुडु सहित 13 सचिव हैं। जनवरी 2020 में भाजपा का अध्यक्ष बनने के बाद नड्डा ने लगभग आठ महीने के बाद अपनी टीम बनाई थी। अभी तक पार्टी संगठन में विभिन्न जिम्मेदारियां संभाल रहे नेताओं को सरकार में शामिल किए जाने के बाद अब कयास लगाए जाने लगे हैं कि पार्टी संगठन में नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है।
हालांकि इस बारे में पार्टी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी से संपर्क किया गया तो उन्होंने बस इतना ही कहा कि संगठन के बारे में नियुक्ति संबंधी कोई भी फैसला लेने का अधिकार अध्यक्ष का है। अगले साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव होने हैं और संभावना जताई जा रही है कि इसको मद्देनजर रखते हुए प्रसाद, जावड़ेकर, निशंक और हर्षवर्धन सहित कुछ नेताओं को संगठन में शामिल कर चुनावी राज्यों की जिम्मेदारी दी जा सकती है।
प्रसाद और जावड़ेकर पहले भी भाजपा संगठन में अहम भूमिका निभा चुके हैं। निशंक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी रहे हैं, जबकि हर्षवर्धन दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष के रूप में भी काम कर चुके हैं। बहरहाल, जिन 36 नए चेहरों को मंत्रिपरिषद में शामिल किया गया है उनमें उत्तर प्रदेश से सर्वाधिक सात चेहरों को जगह दी गई। उत्तर प्रदेश के बाद सबसे अधिक प्रतिनिधित्व पश्चिम बंगाल, कर्नाटक और महाराष्ट्र को मिला है।
इन राज्यों से चार-चार सांसदों को मंत्रिपरिषद में जगह दी गई है। गुजरात से तीन, मध्य प्रदेश, बिहार और ओडिशा से दो-दो नेताओं को मंत्री बनाया गया है, जबकि उत्तराखंड, झारखंड, त्रिपुरा, नई दिल्ली, असम, राजस्थान, मणिपुर और तमिलनाडु से एक-एक नेता को मंत्रिपरिषद में जगह मिली है।(भाषा)