नई दिल्ली। कांग्रेस कार्य समिति ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को अगला अध्यक्ष चुने जाने तक पद पर बने रहने का निर्णय लिया है। कांग्रेस सूत्रों के अनुसार बैठक आज सुबह साढ़े 11 बजे के बाद शुरु हुई जिसमें सबसे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने श्रीमती गांधी से पद पर बने रहने का आग्रह किया। उसके बाद अन्य कई प्रमुख नेताओं ने डॉ. सिंह का समर्थन करते हुए श्रीमती गांधी से पद नहीं छोड़ने का अनुरोध किया।
कार्य समिति की शाम साढ़े छह बजे तक चली बैठक के बाद पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि संगठन का चुनाव कराने और अध्यक्ष चुने जाने तक श्रीमती गांधी को पद पर बने रहने का आग्रह किया गया है। बैठक के दौरान नेता बदलने को लेकर श्रीमती गांधी को लिखी गई वरिष्ठ नेताओं की चिट्ठी पर काफी समय तक चर्चा चलती रही और कई नेताओं ने इस बारे में अपनी बात भी रखी।
गौरतलब है कि श्रीमती गांधी ने 23 वरिष्ठ नेताओं के नेतृत्व परिवर्तन को लेकर कल मिली चिट्ठी के बाद पद छोड़ने की इच्छा व्यक्त की थी। इसे देखते हुए बैठक में घमासान होने का पहले ही अनुमान लगाया जा रहा था। इस बीच खबरें आईं कि पत्र लिखने में अहम भूमिका निभाने वाले पार्टी नेता गुलाम नबी आजाद और राहुल गांधी के बीच भारतीय जनता पार्टी की शह पर पत्र लिखे जाने को लेकर बहस हुई लेकिन बाद में आजाद ने ट्वीट कर स्पष्टीकरण दिया कि गांधी ने उनसे कुछ भी ऐसा नहीं कहा है।
आजाद ने ट्वीट कर कहा, मीडिया का एक हिस्सा यह गलत खबर दे रहा है कि कार्य समिति की बैठक में मैंने राहुल गांधी को कहा कि वह साबित करें कि हमने भाजपा के साथ सांठगांठ करके पत्र लिखा। इस बारे में मुझे स्पष्ट करना है कि राहुल गांधी ने न तो कार्य समिति की बैठक में और न ही इससे बाहर कभी कहा है कि यह पत्र भाजपा के साथ मिलीभगत करके लिखा गया है।
आजाद ने इस संबंध में स्पष्टीकरण देते हुए ट्वीट किया, कल जब कांग्रेस के कुछ लोगों ने कहा कि हमने यह पत्र भाजपा के साथ सांठगांठ करके लिखा है तो इस संदर्भ में मैंने कहा था, यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ सहयोगी (कार्य समिति के सदस्य नहीं) हम पर आरोप लगा रहे हैं कि भाजपा के साथ मिलकर यह पत्र लिखा गया है और यदि वे इस आरोप को साबित कर देंगे तो मैं इस्तीफा दे दूंगा।
इससे पहले श्रीमती गांधी को पत्र लिखने वाले कांग्रेस नेताओं में शामिल कपिल सिब्बल ने भी कहा कि भाजपा के साथ सांठगांठ कर पत्र लिखने वाले आरोप से वे बहुत व्यथित हैं लेकिन बाद में उन्होंने ट्वीट किया कि मुझे राहुल गांधी ने व्यक्तिगत रूप से सूचित किया है कि उन्होंने कभी यह नहीं कहा कि पत्र मिलीभगत से लिखा गया है। इसके बाद मैंने अपना ट्वीट वापस ले लिया।(वार्ता)