नई दिल्ली। Maharashtra Politics : विपक्षी पार्टियां लोकसभा चुनाव Lok Sabha Elections 2024) से पहले भाजपा के खिलाफ एकजुट होने का प्रयास कर रही हैं, वहीं इन सबके विपक्ष के महागठबंधन के सूत्रधार माने जा रहे शरद पवार (Sharad Pawar) की पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) में ही टूट पड़ गई। उनके भतीजे अजित पवार (ajit pawar) ने बगावत कर दी। इस अप्रत्याशित टूट से न केवल महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल आया है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी इसका असर पड़ेगा। सवाल यह है कि अब शरद पवार का अगला कदम क्या होगा?
विपक्ष की एकता पर सवाल : एकनाथ शिंदे नीत सरकार में शामिल होने के लिए अजित पवार द्वारा अपने चाचा एवं राकांपा प्रमुख शरद पवार का साथ छोड़ने से विपक्षी एकता कायम करने के 15 पार्टियों के कदम को बड़ा झटका लगा है। इन विपक्षी दलों ने पिछले महीने पटना में एक बैठक की थी।
शरद पवार की भूमिका घटी : किसी समस्या का समाधान करने के लिए चतुराई से और अप्रत्याशित कदम उठाने वाले एक मंझे हुए राजनेता माने जाने वाले शरद पवार के बारे में ऐसा प्रतीत होता है कि अजित पवार की मदद से भाजपा द्वारा चली गई राजनीतिक चाल से उन्हें शिकस्त मिली है। शरद पवार की रणनीति और विचार सोमवार को स्पष्ट होंगे, जब वे सार्वजनिक रूप से बयान देने वाले हैं।
हालांकि, रविवार के घटनाक्रम से पहले ही विपक्ष में एकता कायम करने की कोशिशें बड़े विपक्षी दलों के बीच मतभेदों से प्रभावित हुईं। इनमें आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के बीच खुला बैर तथा पश्चिम बंगाल में तृणमूल और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप शामिल हैं।
राहुल के नेतृत्व पर सवाल : इस घटनाक्रम ने उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), शरद पवार की राकांपा और कांग्रेस की भागीदारी वाले महाविकास आघाड़ी (MVA) गठबंधन को मिली किसी भी तरह की बढ़त को समाप्त कर दिया है।
यह घटनाक्रम और कांग्रेस एवं शक्तिशाली क्षेत्रीय दलों के बीच तकरार से यह सवाल पैदा होता है कि क्या क्षेत्रीय क्षत्रप विपक्षी गठबंधन में राहुल के नेतृत्व को स्वीकार करेंगे। सूत्रों के मुताबिक, अजित पवार के समर्थक कांग्रेस नेता राहुल गांधी के पटना में शरद पवार और सुप्रिया सुले के साथ मंच साझा करने को लेकर नाराज हैं।
केरल में भी कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) चिर प्रतिद्वंद्वी हैं। अजित पवार के हालिया कदम ने विपक्षी एकता की कोशिशों को बड़ा नुकसान पहुंचाया है, क्योंकि विपक्षी पार्टियां 2024 के लोकसभा चुनावों में नरेन्द्र मोदी नीत भारतीय जनता पार्टी (BJP) को सामूहिक रूप से कड़ी चुनौती देने की उम्मीद कर रही हैं।
महाराष्ट्र में भाजपा का फिर से उभरना : भाजपा और शिंदे नीत शिवसेना से हाथ मिलाने के अजित पवार के फैसले ने संक्षिप्त अवधि के लिए दरकिनार रहने के बाद, एक बार फिर महाराष्ट्र की राजनीति में भाजपा को स्थिति को नियंत्रित करने वाली पार्टी की भूमिका में ला दिया है।
अब भाजपा एक बहुत मजबूत गठबंधन बनाने की स्थिति में है, जिससे लोकसभा चुनावों के दौरान राज्य में उसकी पकड़ मजबूत हो सकती है। एजेंसियां Edited By : Sudhir Sharma