बेंगलुरु। वैश्विक मानवीय नेता और शांतिदूत गुरुदेव श्रीश्री रविशंकर ने राष्ट्रीय मेडिकल ऑक्सीजन ग्रिड परियोजना के अंतर्गत आर्ट ऑफ लिविंग अंतरराष्ट्रीय केंद्र में सिलेंडर फिलिंग स्टेशन के साथ भारत के पहले आईओटी-सक्षम मोबाइल मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट का उद्घाटन किया। यह पहल ग्रामीण और शहरी भारत को सुलभ और सस्ती मेडिकल-ग्रेड ऑक्सीजन की आपूर्ति के द्वारा सशक्त बनाएगी।
इस परियोजना का मूल आधार ऑक्सीजन उत्पादन के नियंत्रित स्रोत, सिलेंडर फिलिंग स्टेशन और एक कार्यात्मक वितरण नेटवर्क के लिए एक मजबूत तंत्र बनाना है ताकि अंतिम दूरी तक मेडिकल ऑक्सीजन की उपलब्धता और वितरण सुनिश्चित हो सके। परियोजना के हिस्से के रूप में पहली बार आईओटी-सक्षम कंटेनरीकृत ऑक्सीजन जेनरेटर ट्रक को हरी झंडी दिखाई गई। यह पहल ग्रामीण और शहरी भारत को सुलभ और सस्ती मेडिकल-ग्रेड ऑक्सीजन की आपूर्ति के द्वारा सशक्त बनाएगी।
उद्घाटन के समय गुरुदेव ने कहा कि यह एक बहुत ही आवश्यक समाधान है जिसे कई वैज्ञानिकों के सहयोग से विकसित किया गया है। यह कम लागत वाला समाधान ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में चिकित्सा ऑक्सीजन की आपूर्ति में सहायता कर सकता है। आर्ट ऑफ लिविंग इसकी जानकारी देने और गांवों में इसे वितरित करने में पूरी तरह से सहयोग करेगा।
यह देखते हुए कि भारत की अधिकांश आबादी गांवों में केंद्रित है और कई गांव अभी भी बड़े नगरों और शहरों से अच्छी तरह से जुड़े हुए नहीं हैं, यह ग्रामीण-भारत केंद्रित डिजाइन ग्रामीण इलाकों में सुदूर स्थानों तक वितरण और चिकित्सा ऑक्सीजन की उपलब्धता संभव और सुनिश्चित करेगा।
ऑक्सीएड के संस्थापक मल्लिकार्जुन दंडीनावर ने कहा कि आइए हम यह स्पष्ट कर दें कि इस अवधारणा की कल्पना कोविड-19 महामारी के कारण नहीं की गई थी, हालांकि इस दौर में पूरे देश में चिकित्सा ऑक्सीजन की मांग में अचानक वृद्धि हुई थी। यह नेशनल मेडिकल ऑक्सीजन ग्रिड गांवों से शहरों की ओर मरीजों के प्रवास को रोकने के मूल उद्देश्य के साथ ग्रामीण स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे की मजबूत नींव रखने का एक प्रयास है। यह योजना आईओटी प्रौद्योगिकी का लाभ उठाकर हमारे सरकारी अस्पतालों की जवाबदेही, कौशल और सशक्तीकरण सुनिश्चित करेगी।
परियोजना का उद्देश्य 5 मुख्य चुनौतियों का समाधान करना है- उपलब्धता, पहुंच, खर्च वहन सामर्थ्य, जवाबदेही और बुनियादी ढांचा। चुनौतियों का समाधान इस प्रकार किया जाएगा-
1) उपलब्धता दरवाजे पर: यह गरीबों की समस्या का समाधान करेगा, क्योंकि ऑक्सीजन संयंत्र आमतौर पर औद्योगिक क्षेत्रों में दूर स्थित होते हैं और डीलर तालुका में नहीं केवल शहरों में ही होते हैं, जो निश्चित घंटों तक काम करते हैं।
2) सुलभता: तालुका और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ऑक्सीजन सिलेंडर बैंक का निर्माण होगा और भंडारण नियंत्रण के लिए आईओटी तकनीक का लाभ लिया जाएगा।
3) खर्च वहन सामर्थ्य : हमें सरकारी अस्पतालों में 1 मरीज पर प्रति घंटे 60 रुपए और निजी अस्पताल में इसका 3-5 गुना अधिक खर्च करना पड़ता है। यह परियोजना जरूरतमंदों को मुफ्त ऑक्सीजन सुनिश्चित करने के लिए एक क्रॉस सब्सिडी तंत्र पर काम करेगी। उद्घाटन परियोजना में ऑक्सीजन भरने की लागत को वर्तमान में 200 रुपए से 80 घटाकर रुपए प्रति सिलेंडर कर दिया गया है।
4) जवाबदेही: सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन की चोरी को रोकना। ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों में आईओटी की तैनाती से सही मात्रा, शुद्धता, दबाव और संचालन की अवधि सुनिश्चित होगी।
5) बुनियादी ढांचा:
1. मौजूदा बुनियादी ढांचे का लाभ उठाकर शहर की सीमा के भीतर सुलभ फायर ब्रिगेड स्टेशनों को भी ऑक्सीजन सिलेंडर फिलिंग स्टेशनों में परिवर्तित करना।
2. मौजूदा जनशक्ति को प्रशिक्षित करना। इस प्रकार घर पर स्थित व सरकारी और निजी अस्पतालों में स्थित मरीजों को 24x7x365 दिन ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
3. इस योजना की परिकल्पना एक बड़े और घनी आबादी वाले देश में सुदूर स्थानों तक वितरण सुनिश्चित करने के लिए एक ग्रामीण-भारत केंद्रित डिजाइन के रूप में की गई है।
4. यह एक राष्ट्रीय मिशन है, जो हमारे संविधान में निहित पहले मौलिक अधिकार जीवन के अधिकार को सुनिश्चित करता है।
Edited by: Ravindra Gupta