Catholic priest Pope Francis dies : पहले लैटिन अमेरिकी पादरी महामान्य पोप फ्रांसिस के निधन पर वैश्विक मानवतावादी और आध्यात्मिक गुरु, गुरुदेव श्री श्री रविशंकर ने शोक जताया है। उन्होंने कहा, पोप फ्रांसिस मन, वचन और कर्म से आस्तिक थे। वे परंपरावादी होने के बावजूद अलग सोच रखते थे। वे सुधार के पक्षधर थे और विभिन्न धर्मों को मानने वालों के बीच बातचीत के प्रबल समर्थक थे। दिल्ली और वॉशिंगटन डीसी में आयोजित वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल के लिए उन्होंने आर्ट ऑफ लिविंग के लिए एक सद्भावना संदेश के साथ अपने प्रतिनिधि को भेजा था। पोप फ्रांसिस का सोमवार सुबह लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया।
रविशंकर ने कहा, पर्यावरण को लेकर पोप फ्रांसिस की चिंता और मानव तस्करी के खिलाफ उनके प्रयास उल्लेखनीय हैं। आपसी समझ बढ़ाने की उनकी अपील उनके अनुयायियों को प्रेरित करती रहेगी। दिल्ली और वॉशिंगटन डीसी में आयोजित वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल के लिए उन्होंने आर्ट ऑफ लिविंग के लिए एक सद्भावना संदेश के साथ अपने प्रतिनिधि को भेजा था।
दुनियाभर के कैथोलिक ईसाई समुदाय के धर्मगुरु 88 वर्षीय 266वें पोप फ्रांसिस का सोमवार सुबह लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। पोप पिछले काफी समय से बीमार चल रहे थे। उन्होंने अपनी विनम्र शैली और गरीबों के प्रति चिंता से दुनिया को मंत्रमुग्ध कर दिया था।
1000 साल के इतिहास में पोप फ्रांसिस एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे, जो गैर यूरोपीय पोप थे। पोप फ्रांसिस अर्जेंटीना के एक जेसुइट पादरी रहे थे। वे 2013 में रोमन कैथोलिक चर्च के 266वें पोप बने थे। 267वें पोप के लिए 5 नाम सबसे ज्यादा चर्चा में हैं। इनमें लुइस एंटोनियो (फिलीपींस), पिएन्नो पारोलिन (इटली), पीटर तुर्कसन (घाना), पीटर एर्दो (हंगरी) और मार्क ओउलेट (कनाडा) शामिल हैं।
Edited By : Chetan Gour