Statement of Akhilesh Yadav and Mayawati in the recruitment case through lateral entry : समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने केंद्र के विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों के प्रमुख पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए जल्द ही 45 विशेषज्ञ नियुक्त किए जाने के फैसले की रविवार को निंदा करते हुए इसे सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी की मनमानी बताया और साजिश और संविधान का उल्लंघन करार दिया।
सपा प्रमुख एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस फैसले के खिलाफ दो अक्टूबर से प्रदर्शन करने की चेतावनी भी दी। यादव ने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर लिखा, भाजपा अपनी विचारधारा के संगी-साथियों को पिछले दरवाजे से यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) के उच्च सरकारी पदों पर बैठाने की जो साजिश कर रही है, उसके खिलाफ एक देशव्यापी आंदोलन करने का समय आ गया है।
उन्होंने दावा किया कि यह तरीका आज के अधिकारियों के साथ युवाओं के लिए भी वर्तमान और भविष्य में उच्च पदों पर जाने का रास्ता बंद कर देगा। उन्होंने कहा, आम लोग बाबू व चपरासी तक ही सीमित हो जाएंगे। दरअसल यह सारी चाल पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यकों) से आरक्षण और उनके अधिकार छीनने की है।
सपा प्रमुख ने कहा कि भाजपा जान गई है कि संविधान को खत्म करने की उसकी चाल के खिलाफ देशभर का पीडीए जाग उठा है तो वह ऐसे पदों पर सीधी भर्ती करके आरक्षण को दूसरे बहाने से नकारना चाहती है। उन्होंने भाजपा सरकार से यह फैसला तत्काल वापस लेने की अपील की और कहा कि यह देशहित में नहीं है। उन्होंने कहा, भाजपा अपनी दलीय विचारधारा के अधिकारियों को सरकार में रखकर मनमाना काम करवाना चाहती है।
उन्होंने कहा, सरकारी कृपा से अधिकारी बने ऐसे लोग कभी निष्पक्ष नहीं हो सकते। ऐसे लोगों की सत्यनिष्ठा पर भी हमेशा प्रश्नचिह्न लगा रहेगा। देशभर के अधिकारियों और युवाओं से आग्रह है कि यदि भाजपा सरकार इसे वापस न ले तो आगामी दो अक्टूबर से एक नया आंदोलन शुरू करने में हमारे साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर खड़े हों।
सपा प्रमुख ने कहा, सरकारी तंत्र पर कॉर्पोरेट के कब्जे को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे क्योंकि कॉर्पोरेट की अमीरों वाली पूंजीवादी सोच ज़्यादा-से-ज़्यादा लाभ कमाने की होती है। ऐसी सोच दूसरे के शोषण पर निर्भर करती है, जबकि हमारी समाजवादी सोच गरीब, किसान, मजदूर, नौकरीपेशा, अपना छोटा-मोटा काम-कारोबार-दुकान करने वाली आम जनता के पोषण और कल्याण की है। यह देश के विरुद्ध एक बड़ा षड्यंत्र है।
वहीं बसपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने भी सरकार के इस फैसले को गलत बताया। उन्होंने एक्स पर लिखा, केन्द्र में संयुक्त सचिव, निदेशक एवं उपसचिव के 45 उच्च पदों पर सीधी भर्ती का निर्णय सही नहीं है, क्योंकि सीधी भर्ती के माध्यम से नीचे के पदों पर काम कर रहे कर्मचारियों को पदोन्नति के लाभ से वंचित रहना पड़ेगा।
उन्होंने कहा, इसके साथ ही इन सरकारी नियुक्तियों में एससी (अनुसूचित जाति), एसटी (अनुसूचित जनजाति) व ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) समुदायों के लोगों को उनके कोटे के अनुपात में अगर नियुक्ति नहीं दी जाती है तो यह संविधान का सीधा उल्लंघन होगा।
मायावती ने कहा कि इन उच्च पदों पर सीधी नियुक्तियां करना भाजपा सरकार की मनमानी होगी, जो कि गैर-कानूनी एवं असंवैधानिक होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत केंद्र के विभिन्न मंत्रालयों में संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप सचिवों के प्रमुख पदों पर जल्द ही 45 विशेषज्ञ नियुक्त किए जाएंगे।
आमतौर पर ऐसे पदों पर अखिल भारतीय सेवाओं- भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस), भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) और भारतीय वन सेवा (आईएफओएस)- और अन्य ग्रुप ए सेवाओं के अधिकारी तैनात होते हैं। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने शनिवार को 45 पदों के लिए विज्ञापन दिया, जिनमें 10 संयुक्त सचिव और 35 निदेशक/उप सचिव के पद शामिल हैं। इन पदों को अनुबंध के आधार पर लेटरल एंट्री के माध्यम से भरा जाना है।
विज्ञापन में कहा गया, भारत सरकार संयुक्त सचिव और निदेशक/उप सचिव स्तर के अधिकारियों की लेटरल एंट्री के जरिए नियुक्ति करना चाहती है। इस तरह राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के आकांक्षी प्रतिभाशाली भारतीय नागरिकों से संयुक्त सचिव या निदेशक/उप सचिव के स्तर पर सरकार में शामिल होने के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour