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केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन बोले- भगोड़ों को अंतरराष्ट्रीय न्याय क्षेत्र में भिन्नता का लाभ नहीं मिलना चाहिए

हमें फॉलो करें Govind Mohan

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नई दिल्ली , शुक्रवार, 6 सितम्बर 2024 (00:49 IST)
Statement of Govind Mohan regarding criminals and fugitives : केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने बृहस्पतिवार को कहा कि अपराधियों एवं भगोड़ों को अंतरराष्ट्रीय न्याय क्षेत्र में भिन्नता का लाभ नहीं मिलना चाहिए और उन्हें न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए।
 
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा आयोजित 10वें इंटरपोल संपर्क अधिकारी (आईएलओ) सम्मेलन में अपने उद्घाटन भाषण में मोहन ने कहा कि दुनिया में कहीं भी अपराध, अपराध से हुई आय और आतंकवाद के लिए सुरक्षित पनाहगाह हर देश के लिए गंभीर खतरा है।
 
उन्होंने कहा, एक-दूसरे से तेजी से जुड़ रही दुनिया को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जुड़ी पुलिस की जरूरत है। अपराधियों और भगोड़ों को अंतरराष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र में भिन्नता के कारण सुरक्षित पनाहगाह नहीं मिलनी चाहिए और उन्हें न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए।
आगामी संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय पुलिस सहयोग दिवस से पहले अंतरराष्ट्रीय कानून प्रवर्तन साझेदारी को मजबूत करने पर आयोजित सम्मेलन में केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सभी कानून प्रवर्तन एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारियों और कई देशों के पुलिस संपर्क अधिकारियों ने भाग लिया।
 
भारत और इंटरपोल, यूरोपोल एवं ग्लोब-ई नेटवर्क के सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने डिजिटल रूप से आयोजित सत्र में भाग लिया। गृह सचिव ने प्रौद्योगिकी के उपयोग से होने वाले अपराधों में तेजी से वृद्धि से निपटने में अंतरराष्ट्रीय पुलिस सहयोग के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, अपराध और अपराधियों के अंतरराष्ट्रीय प्रसार ने विदेशों में जांच की आवश्यकता को बढ़ा दिया है।
मोहन ने कहा, अपराध की रोकथाम, उसका पता लगाना, जांच और अभियोजन डिजिटल साक्ष्य और विदेश में स्थित साक्ष्य पर तेजी से निर्भर हो रहे हैं। साइबर वित्तीय अपराध, ऑनलाइन चरमपंथ और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध नेटवर्क सहित नए दौर के अपराध देश की सीमाओं तक सीमित नहीं हैं। तेजी से आपस में जुड़ती दुनिया में, अंतरराष्ट्रीय पुलिस सहयोग के महत्व को कम करके नहीं आंका जा सकता है।
 
गृह सचिव ने कहा कि आतंकवाद, अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध नेटवर्क, ऑनलाइन चरमरपंथ, नशीली दवाओं और हथियारों की तस्करी, साइबर अपराध, ऑनलाइन बाल यौन शोषण, मानव तस्करी, वन्यजीव और पर्यावरण अपराध, आर्थिक अपराध, अपराध से होने वाली आय का शोधन, आतंकवाद के वित्त पोषण आदि से उत्पन्न आसन्न खतरों के कारण वैश्विक स्तर पर कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच घनिष्ठ समन्वय की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच कानून प्रवर्तन सहयोग को मजबूत बनाने के लिए मार्च में सीबीआई द्वारा यूरोपोल के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे। गृह मंत्रालय की मंजूरी के बाद, सीबीआई अकादमी पुलिस क्षमता निर्माण को बढ़ाने के लिए अगस्त, 2023 में ‘इंटरपोल ग्लोबल अकादमी नेटवर्क’ में शामिल हो गई और भारत इंटरपोल के अंतरराष्ट्रीय बाल यौन शोषण (आईसीएसई) डेटाबेस में शामिल हो गया। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour

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