Why Allahabad High Court quashed criminal proceedings : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने कथित रूप से एक मृतक की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज किए जाने संबंधी स्तब्धकारी घटनाक्रम के सामने आने के बाद एक याचिकाकर्ता के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दिया है।
अदालत ने कहा कि यह और भी हैरानी की बात है कि कथित तौर पर मृतक द्वारा दिए गए बयान के आधार पर बाद में आरोप पत्र भी दाखिल किया गया। ऐसा बताया जा रहा है कि जिस व्यक्ति की शिकायत पर प्राथमिकी दर्ज की गई उसकी मौत कई साल पहले ही हो चुकी है।
न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने 6 अगस्त को पारित अपने आदेश में याचिकाकर्ता पुरुषोत्तम सिंह के खिलाफ आपराधिक मुकदमा रद्द करते हुए कहा कि यह बहुत चौंकाने वाली बात है कि एक मृत व्यक्ति ने ना केवल प्राथमिकी दर्ज कराई, बल्कि जांच अधिकारी के समक्ष अपना बयान भी दर्ज कराया।
अदालत ने कहा कि इसके बाद, मौजूदा मामले में उस मृत व्यक्ति की ओर से वकालतनामा भी दाखिल किया गया। ऐसा प्रतीत होता है कि मुकदमे की यह सभी कार्यवाही किसी भूत द्वारा कराई गई। अदालत ने कुशीनगर के पुलिस अधीक्षक को इस मामले के जांच अधिकारी के आचरण की जांच करने का निर्देश दिया।
मामले के तथ्यों के मुताबिक, 2014 में कुशीनगर जिले के कोतवाली हाता पुलिस थाने में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। प्राथमिकी के मुताबिक, शिकायतकर्ता का नाम शब्द प्रकाश था, जिसकी 19 दिसंबर, 2011 में ही मौत हो चुकी थी। मृत्यु प्रमाण पत्र और शब्द प्रकाश की पत्नी की गवाही सहित आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, उसकी मौत की पुष्टि और इस संबंधी दस्तावेजीकरण प्राथमिकी दर्ज होने से बहुत पहले ही हो गया था।
इसके बावजूद, मामले की जांच कर रहे अधिकारी ने मृतक व्यक्ति का बयान ऐेसे दर्ज किया, मानो वह जीवित हो और कानूनी प्रक्रियाओं में भाग लेने में सक्षम हो और बाद में 23 नवंबर, 2014 को आरोप पत्र दाखिल किया गया जिसमें मृतक को अभियोजन पक्ष का गवाह बताया गया। (एजेंसी)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala