statements of Kangana Ranaut, which increased the problems of BJP : अभिनेत्री-सांसद कंगना रनौत ने 2021 में निरस्त किए गए 3 कृषि कानूनों को वापस लाने का आह्वान करने वाला अपना बयान वापस लेते हुए बुधवार को कहा कि उन्हें याद रखना चाहिए कि वे सिर्फ एक कलाकार नहीं हैं, बल्कि भाजपा सदस्य भी हैं।
यह पहला मौका नहीं है जब मंडी से कंगना के बयानों ने पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी की हो। अपने बयानों के कारण विवादों में घिरने वाली कंगना से भारतीय जनता पार्टी जहां अक्सर किनारा करती नजर आती है वहीं कांग्रेस उन पर हमलावर रहती है। कंगना रनौत के बयान-
- इसी साल जून में लोकसभा सदस्य चुनी गईं रनौत ने पिछले महीने आरोप लगाया था कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन “भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति” पैदा कर रहा था, और विरोध प्रदर्शन स्थल पर “लाशें लटक रही थीं और बलात्कार हो रहे थे”।
भाजपा ने उनकी टिप्पणी की निंदा की और स्पष्ट किया कि उन्हें पार्टी के नीतिगत मामलों पर टिप्पणी करने की न तो अनुमति है और न ही वह इसके लिए अधिकृत हैं।
- रनौत की नवीनतम फिल्म 'इमरजेंसी' फिलहाल केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के पास अटकी हुई है और इस महीने की शुरुआत में प्रस्तावित उसकी रिलीज भी टल गयी। फिल्म में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का किरदार निभाने वाली रनौत ने इसका सह-लेखन, सह-निर्माण और निर्देशन किया है। वह लगातार सीबीएफसी पर निशाना साधती रही हैं और एक बार इसे “अनावश्यक निकाय” तक कहा।
फिल्म की कई सिख धार्मिक संस्थाओं ने आलोचना की है, जिनका दावा है कि यह “सांप्रदायिक तनाव भड़का सकती है” और “गलत सूचना फैला सकती है”।
- नवंबर 2021 में, एक समाचार चैनल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में रनौत की टिप्पणी के लिए उनकी आलोचना की गई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत को 2014 में “वास्तविक स्वतंत्रता” प्राप्त हुई, जब नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में आई, और 1947 में स्वतंत्रता “भीख” थी।
तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा उन्हें पद्मश्री सम्मान प्रदान किए जाने के दो दिन बाद आये उनके इस विवादास्पद बयान से नेताओं, इतिहासकारों, शिक्षाविदों, साथी अभिनेताओं और अन्य सहित कई लोगों ने नाराजगी जताई थी और कई लोगों ने कहा था कि उन्हें अपना सम्मान लौटा देना चाहिए।
- मई 2021 में, सोशल मीडिया मंच ट्विटर (अब एक्स) ने घोषणा की कि उसने उनके घृणित आचरण और अपमानजनक व्यवहार संबंधी नीतियों के “बार-बार उल्लंघन” के लिए रनौत के खाते को स्थायी रूप से निलंबित कर दिया था।
अभिनेत्री ने पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस की भाजपा पर जीत और उस वर्ष चुनाव-बाद हिंसा की घटनाओं को लेकर कई भड़काऊ संदेश पोस्ट किए थे।
सोशल मीडिया मंच ने पहले उनकी बहन रंगोली चंदेल का अकाउंट निलंबित कर दिया था, जिसके बाद रनौत ट्विटर पर सक्रिय हो गई थीं। जनवरी 2023 में टेस्ला के बॉस एलन मस्क द्वारा माइक्रोब्लॉगिंग साइट का अधिग्रहण करने के बाद रनौत का अकाउंट बहाल कर दिया गया।
- 2020-2021 में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान, रनौत ने कई अपमानजनक टिप्पणियां कीं, एक बार तो उन्होंने प्रदर्शनकारी किसानों को “आतंकवादी” कहा। जब उन्होंने पंजाब की एक महिला किसान को बिलकिस बानो कहा तो उनकी पंजाबी अभिनेता-गायक दिलजीत दोसांझ के साथ तीखा वाकयुद्ध देखने को मिला था। महिला किसान 80 वर्ष से ज्यादा उम्र की हैं और संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) विरोधी प्रदर्शनों के दौरान उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी थीं।
- नवंबर 2020 में, अनुभवी पटकथा लेखक जावेद अख्तर ने रनौत के खिलाफ आपराधिक मानहानि की शिकायत दर्ज की, जिसमें दावा किया गया कि अभिनेत्री ने जुलाई 2020 में एक समाचार चैनल के साथ अपने साक्षात्कार में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत में उनका नाम घसीटकर उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया।
रनौत ने अख्तर के खिलाफ मजिस्ट्रेट अदालत में जवाबी शिकायत दर्ज कराते हुए उन पर आपराधिक धमकी और लज्जा भंग करने का आरोप लगाया। अभिनेत्री ने आरोप लगाया था कि 2016 में गीतकार के साथ उनके आवास पर मुलाकात के दौरान, उन्होंने उन्हें आपराधिक रूप से धमकाया था और मांग की थी कि वह एक सह-कलाकार से माफी मांगें। मामला फिलहाल अदालत में है।
- सितंबर 2020 में, वह शिवसेना के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार के साथ तब विवाद में आ गई थीं, जब उन्होंने मुंबई की तुलना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से की थी और मुंबई पुलिस की आलोचना की थी।
इसके बाद, बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) ने बांद्रा के पाली हिल क्षेत्र में स्थित उनके बंगले में “अवैध निर्माण” को ध्वस्त कर दिया।
- अगस्त 2020 में रनौत ने यह दावा करके मुसीबत मोल ले ली थी कि बॉलीवुड में 99 प्रतिशत लोग मादक पदार्थ का सेवन करते हैं। उनकी यह टिप्पणी राजपूत की मौत के बाद आई थी। बाद में हिंदी फिल्म उद्योग के कई अभिनेताओं और कई राजनीतिक दलों ने इस बयान की आलोचना की। इनपुट भाषा