चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने वाले अमरिंदर सिंह इस बात पर अड़ गए हैं कि नवजोत सिंह सिद्धू को सीएम नहीं बनने दूंगा। जानिए दोनों के बीच विवाद की पूरी कहानी...
15 जनवरी 2017 को राहुल गांधी के घर पर नवजोत सिंह सिद्धू भाजपा से कांग्रेस में आए थे। उनके साथ ही परगट सिंह भी कांग्रेस में आ गए। सिद्धू को कांग्रेस में लाने में अमरिंदर की बड़ी भूमिका थी। उन्होंने ही पूर्व क्रिकेटर को पंजाब सरकार में मंत्री भी बनाया। हालांकि कुछ दिनों बाद ही दोनों दिग्गजों में खटपट शुरू हो गई।
18 अगस्त 2018 में जब सिद्धू पाकिस्तान में इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में गए तो इस पर देश में जमकर बवाल मचा। सीएम अमरिंदर ने भी इस पर कड़ी नाराजगी जाहिर की। यहां दोनों की तकरार बढ़ी।
मई 2019 में सिद्धू की पत्नी नवजोत कौर सिद्धू कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती थीं, लेकिन उन्हें टिकट नहीं दिया गया। नवजोत कौर ने आरोप लगाया था कि उन्हे कैप्टन की वजह से ही टिकट नहीं मिला। इस समय कैप्टन और सिद्धू में तकरार काफी बढ़ गई थी।
एक माह बाद जून 2019 में अमरिंदर सरकार ने सिद्धू से स्थानीय निकाय विभाग लेकर उन्हें बिजली विभाग सौंप दिया। नाराज सिद्धू ने जुलाई 2019 में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस समय दोनों दिग्गजों में तनाव चरम पर पहुंच गया।
पंजाब कांग्रेस में अमरिंदर के खिलाफ माहौल बनाने में बड़ी भूमिका निभाने वाले सिद्धू को जुलाई 2021 में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बना दिया गया। माना जा रहा है कि दोनों के तल्ख रिश्तों में इससे नरमी आएगी। बहरहाल ऐसा नहीं हो सका। सिद्धू के पदभार ग्रहण करते समय हुए समारोह में भी दोनों के बीच तल्खी नजर आई। इस समय कैप्टन के स्वर नरम थे तो सिद्धू काफी गुस्से में नजर आ रहे थे।
सिद्धू की नाराजगी की वजह से ही 18 सितंबर को अमरिंदर को सीएम पद छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। दरअसल 40 से ज्यादा विधायकों ने सोनिया को चिट्ठी लिखकर कैप्टन राज पर नाराजगी जताई थी। इस तरह मात्र 4.30 साल में सिद्धू सीएम पद की दौड़ में शामिल हो गए।