नई दिल्ली। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि पूजा करने के उनके अधिकार का संरक्षण किया जाना चाहिए और राम जन्मभूमि मुद्दे की जल्द और फास्ट ट्रैक आधार पर सुनवाई हो। वे इस मामले में उच्चतम न्यायालय के ताजा आदेश से संतुष्ट और प्रसन्न हैं जिसमें उसने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को शीघ्र सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के मामले में निर्णय लेने की बात कही है।
स्वामी ने कहा कि यह मामला सात वर्षो से सूचीबद्ध नहीं हो पा रहा है। इस मामले की जल्द और फास्ट ट्रैक आधार पर सुनवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मैंने अपनी याचिका में कहा है कि पूजा करने के मेरे अधिकार का संरक्षण किया जाना चाहिए।
भाजपा नेता ने दावा किया कि शीर्ष अदालत ने उन्हें इस मामले में पार्टी माना है। गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने कल कहा था कि वह राम मंदिर-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को शीघ्र सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के मामले में निर्णय लेगा।
भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने मामले को शीघ्र सूचीबद्ध करने और उस पर सुनवाई शुरू करने का आग्रह किया था जिस पर प्रधान न्यायाधीश जेएस खेहर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड वाली पीठ ने कहा, 'हम इस बारे में निर्णय करेंगे।'
बहरहाल, भाजपा नेता ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ मुख्य अपीलें उच्चतम न्यायलय में सात वर्षों से लंबित हैं और उन पर शीघ्र सुनवाई की जरूरत है। उस स्थान पर बिना किसी परेशानी के पूजा अर्चना के उनके अधिकार के पालन के लिए उन्होंने पहले भी अलग से एक याचिका दायर की थी।
बोफोर्स मामले के पुनर्जीवित होने के संबंध में आई रिपोर्ट पर कांग्रेस के विरोध के बारे में पूछे जाने पर स्वामी ने कहा कि कांग्रेस इस मामले में विरोध कर रही है, लेकिन मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि तब उन्होंने बाबरी मस्जिद मामले, गुजरात मामले को फिर से क्यों खोला?
उन्होंने कहा कि आपराधिक मामले में कोई समयसीमा नहीं होती है। केवल यह कह कर कि सबूत नहीं है, किसी आपराधिक मामले को छोड़ा नहीं जा सकता। कांग्रेस पार्टी की आदत हो गई है कि भ्रष्टाचार के मामले में भी वे बदले की कार्रवाई का राग अलापने लगते हैं।
कश्मीर मामले में नेशनल कांफ्रेंस के नेता और सांसद फारूक अब्दुल्ला के बयान के बारे में पूछे जाने पर स्वामी ने कहा कि अब्दुल्ला को किसी तीसरे देश जाना चाहिए। जो हमारे देश की बात नहीं करते, उनकी बात किसी को नहीं सुननी चाहिए। (भाषा)