नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दिए जाने से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 370 और 35 (ए) को चुनौती देने वाली याचिकाओं को 5 सदस्यीय संविधान पीठ को सौंपने के सोमवार को संकेत दिए।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति एएम खानविलकर की पीठ ने कश्मीरी पंडित डॉ. चारु वली खन्ना की याचिका की सुनवाई के दौरान कहा कि इस याचिका को संविधान के इन अनुच्छेदों को समाप्त करने संबंधी अन्य याचिका के साथ संबद्ध किया जाता है। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने संकेत दिए कि संविधान से जुड़े इन मामलों को 5 सदस्यीय संविधान पीठ को सौंपा जा सकता है।
इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पीएस नरिसम्हा ने भी न्यायालय से आग्रह किया कि सभी संबंधित याचिकाओं की सुनवाई एकसाथ की जाए, तो बेहतर है। न्यायालय ने मामलों की सुनवाई 6 सप्ताह तक के लिए स्थगित कर दी।
अनुच्छेद 370 जहां जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देता है, वहीं अनुच्छेद 35 (ए) राज्य के स्थायी निवासियों और उनके विशेषाधिकारों को परिभाषित करता है।
याचिकाकर्ताओं की दलील है कि अनुच्छेद 370 और 35 (ए) संविधान में वर्णित समानता के मौलिक अधिकार का खुल्लम-खुल्ला उल्लंघन है, क्योंकि इन अनुच्छेदों के कारण जम्मू-कश्मीर के बाहर का व्यक्ति न तो वहां प्रॉपर्टी खरीद सकता है, न उसे वहां सरकारी नौकरी मिल सकती है और न ही वह स्थानीय निकाय चुनावों में हिस्सा ले सकता है।
इससे पहले गैरसरकारी संगठन 'वी द सिटीजंस' ने भी याचिका दायर करके अनुच्छेद 35 ए को निरस्त करने का न्यायालय से अनुरोध किया है। (वार्ता)