Supreme court bans electoral bond : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक बड़ा फैसला सुनाते हुए चुनाव बांड असंवैधानिक करार दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि लोगों को पता होना चाहिए कि चंदा कहां से आ रहा है।
शीर्ष अदालत ने SBI से 6 मार्च तक इलेक्टोरल बांड से जुड़ी जानकारी मांगी। बैंक को बताना होगा कि किसे कितने बांड जारी किए गए और इसका फायदा किसे मिला। चुनाव आयोग को 13 मार्च तक इलेक्टोरल बांड से जुड़ी जानकारी वेबसाइट पर डालने के निर्देश। जो बॉन्ड कैश नहीं हुए हैं उन्हें बैंक को वापस दिया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि SBI को राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए प्रत्येक चुनावी बॉन्ड का मूल्य एवं तारीख सहित विवरण देना होगा। एसबीआई उन राजनीतिक दलों के विवरण निर्वाचन आयोग को दे जिन्हें 12 अप्रैल 2019 से अब चुनावी बॉन्ड के जरिए धनराशि मिली है।
फैसले की खास बातें...
-
सरकार से पूछना जनता का कर्तव्य।
-
लोगों को पता चलना चाहिए कि राजनीतिक दलों के पास पैसा कहां से आया?
-
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव बांड को सूचना के अधिकार का हनन बताया।
-
हर चंदा हित साधने के लिए नहीं। राजनीतिक लगाव के कारण भी चंदा।
-
बड़े चंदों को गोपनीय रखना असंवैधानिक।
-
शीर्ष अदालत ने इनकम टैक्स एक्ट में किए गए बदलाव को भी असंवैधानिक बताया।
-
इलेक्टोरेल बांड स्कीम असंवैधानिक। इस पर तुरंत प्रभाव से लगी रोक।
-
अदालत ने SBI से 6 मार्च तक मांगी इलेक्टोरल बांड से जुड़ी जानकारी। किसने बांड खरीदा, किस पार्टी को मिला फायदा, इसकी जानकारी देना होगी।
-
चुनाव आयोग को 13 मार्च तक इलेक्टोरल बांड से जुड़ी जानकारी वेबसाइट पर डालने के निर्देश।
-
जो बॉन्ड कैश नहीं हुए हैं उन्हें बैंक को वापस दिया जाना चाहिए।
Edited by : Nrapendra Gupta