Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

Bombay high court के रवैए पर Supreme Court सख्त, कहा- नागरिक की स्वतंत्रता सबसे पहले, पढ़िए क्या है मामला

फैसलों पर देरी पर जताई नाराजगी

हमें फॉलो करें Supreme court

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नई दिल्ली , मंगलवार, 27 फ़रवरी 2024 (16:43 IST)
Supreme Court News in hindi : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी भी नागरिक की स्वतंत्रता सर्वोपरि है और इससे संबंधित मामले में शीघ्रता से निर्णय नहीं लेने से व्यक्ति संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त इस बहुमूल्य अधिकार से वंचित हो जाएगा।
शीर्ष अदालत ने जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के संरक्षण से संबंधित अनुच्छेद 21 को संविधान की 'आत्मा' बताते हुए हाल ही में कहा है कि उसके सामने बम्बई हाईकोर्ट के कई ऐसे मामले आए हैं, जिनमें जमानत या अग्रिम जमानत याचिकाओं पर शीघ्रता से फैसला नहीं किया जा रहा है।
 
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने 16 फरवरी के आदेश में कहा कि हमारे सामने ऐसे कई मामले आए हैं, जिनमें न्यायाधीश गुण-दोष के आधार पर फैसला नहीं कर रहे हैं, बल्कि विभिन्न आधारों पर मामले को टालने का एक बहाना ढूंढते हैं।
पीठ ने कहा कि 'इसलिए, हम बंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध करते हैं कि आपराधिक मामलों में क्षेत्राधिकार का इस्तेमाल करने वाले सभी न्यायाधीशों को जमानत/अग्रिम जमानत से संबंधित मामले पर यथाशीघ्र निर्णय लेने के हमारे अनुरोध से अवगत कराएं।'
 
पीठ ने कहा कि 'यह कहने की आवश्यकता नहीं है कि अनुच्छेद 21 भारतीय संविधान की आत्मा है, क्योंकि एक नागरिक की स्वतंत्रता सर्वोपरि है।'
webdunia
उसने कहा कि 'किसी नागरिक की स्वतंत्रता से संबंधित मामले पर शीघ्रता से निर्णय न करना और किसी न किसी आधार पर मामले को टालना पक्षकार को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत गारंटीकृत उसके बहुमूल्य अधिकार से वंचित कर देगा।'
 
पीठ ने शीर्ष अदालत के रजिस्ट्रार (न्यायिक) से कहा कि वह उसके आदेश से उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को अवगत कराएं, जो उसे बम्बई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत करेंगे।
शीर्ष अदालत एक आरोपी की याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसने 30 मार्च, 2023 के बम्बई हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसके तहत उसकी जमानत याचिका का निस्तारण करते हुए उसे निचली अदालत के समक्ष ऐसी याचिका दायर करने की अनुमति दी गई थी।
 
हाईकोर्ट ने कहा था कि आरोपी लगभग साढ़े सात साल तक जेल में था और ऐसा प्रतीत होता है कि जमानत याचिका दायर करने से पहले, आरोपी ने इसी तरह की एक याचिका दायर की थी, जिसे अप्रैल 2022 में वापस ले लिया गया था।
 
शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट के पिछले साल मार्च में जारी आदेश को इस साल 29 जनवरी को रद्द कर दिया था और दो सप्ताह के भीतर गुण-दोष के आधार पर मामले का फैसला करने को कहा था। इसके बाद हाईकोर्ट ने 12 फरवरी को आरोपी को जमानत दे दी थी। भाषा Edited By : Sudhir Sharma

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कमलनाथ का स्पष्टीकरण, मेरे पाला बदलने की अटकलें महज मीडिया की उपज