नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने अयोध्या में विवादित राम मंदिर में पूजा का मौलिक अधिकार लागू करने की भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की अर्जी पर शीघ्र सुनवाई से मंगलवार को इंकार कर दिया। न्यायालय ने स्वामी से कहा कि वह इसका बाद में उल्लेख करें।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की खंडपीठ ने इस विवाद से संबंधित, स्वामी की याचिका पर शीघ्र सुनवाई के लिए स्वामी की दलीलों पर विचार किया। पीठ ने कहा, 'आप बाद में इसका उल्लेख कीजिए।
इस पर स्वामी ने कहा कि बाद में शब्द बहुत ही व्यक्तिपरक है और वह 15 बाद सुनवाई के लिए फिर इसका उल्लेख करेंगे।
शीर्ष अदालत ने स्वामी की, राम मंदिर में पूजा के उनके मौलिक अधिकार को जल्द से जल्द लागू करने की अर्जी पर भी शीघ्र सुनवाई से इंकार कर दिया।
गौरतलब है कि प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस ए नजीर की विशेष खंडपीठ ने 14 मार्च को अयोध्या मामले में हस्तक्षेप की अनुमति देने से इंकार करके श्याम बेनेगल और तीस्ता सीतलवाड जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं की उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
पीठ ने स्वामी को भी मुख्य मामले में हस्तक्षेप देने की अनुमति नहीं दी थी। स्वामी की पहल पर ही अयोध्या विवाद के मामलों की सुनवाई तेजी से शुरू हुई थी।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने बहुमत के फैसले में अयोध्या में विवादित स्थल की भूमि सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला में बराबर बराबर बांटने का आदेश दिया था। (भाषा)