नई दिल्ली। मध्यप्रदेश की कमलनाथ सरकार रहेगी अथवा जाएगी, इसका फैसला कल यानी शुक्रवार को हो जाएगा। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट कराने के निर्देश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मध्यप्रदेश विधानसभा में शाम 5 बजे तक यह प्रक्रिया पूरी की जाए। शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि फ्लोर टेस्ट की वीडियोग्राफी कराई जानी चाहिए। साथ ही बागी विधायक फ्लोर टेस्ट में आना चाहें तो आ सकते हैं।
उच्चतम न्यायालय ने मध्यप्रदेश और कर्नाटक के पुलिस प्रमुखों को निर्देश दिया कि कांग्रेस के 16 बागी विधायक अगर विधानसभा में शक्ति परीक्षण में शामिल होना चाहते हैं तो उन्हें पूरी सुरक्षा मुहैया कराई जाए।
विधानसभा अध्यक्ष ने ठुकरा दी थी पेशकश : इससे पहले आज सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष एनपी प्रजापति को बागी विधायकों से वीडियो लिंक के जरिए बात करने का या उन्हें ‘बंधक’ बनाने के भय को दूर करने के लिए एक पर्यवेक्षक नियुक्त करने का गुरुवार को सुझाव दिया। हालांकि अध्यक्ष ने शीर्ष अदालत के इस प्रस्ताव को स्वीकार करने से इनकार कर दिया था।
न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की एक पीठ ने कहा था कि बागी विधायक अपनी मर्जी से गए हैं या नहीं यह सुनिश्चित करने का वह इंतजाम कर सकते हैं। पीठ ने कहा कि हम बेंगलुरु या कहीं और एक पर्यवेक्षक की नियुक्ति भी कर सकते हैं ताकि बागी विधायक वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अध्यक्ष से सम्पर्क कर सकें और उसके बाद वह निर्णय लें। कोर्ट ने अध्यक्ष से यह भी पूछा कि क्या बागी विधायकों के इस्तीफा देने के संबंध में कोई जांच की गई और उन्होंने उनके (बागी विधायकों के) संबंध में क्या निर्णय किया है।
अध्यक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी ने कहा कि जिस दिन अदालत अध्यक्ष को समय सीमा के तहत निर्देश देने लगेगा, तो यह संवैधानिक समस्या बन जाएगा।
उल्लेखनीय है कि सिंधिया समर्थक 6 मंत्रियों की बर्खास्तगी और कांग्रेस के बागी विधायकों के चलते कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई है। भाजपा की लगातार कोशिशें जारी हैं कि राज्य की कमलनाथ सरकार गिर जाए। इसी के चलते भाजपा लगातार फ्लोर टेस्ट की मांग कर रही थी, जबकि कांग्रेस सरकार बागियों के चलते इससे बचने की कोशिश कर रही थी।