Ramsetu: उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने 'रामसेतु' (Ram Setu) को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने और उक्त स्थान पर एक दीवार के निर्माण का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिका पर विचार करने से मंगलवार को यह कहकर इंकार कर दिया कि ये सरकार के लिए प्रशासनिक मामला है।
'रामसेतु' को 'एडम ब्रिज' के नाम से भी जाना जाता है। यह तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट पर पम्बन द्वीप और श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीप के बीच है। याचिका न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई थी। यह याचिका हिन्दू पर्सनल लॉ बोर्ड संगठन ने अपने अध्यक्ष अशोक पांडे के माध्यम से दायर की थी।
पांडे एक वकील भी हैं। उन्होंने पीठ को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर एक याचिका के बारे में भी सूचित किया, जो शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित है। अपनी याचिका में स्वामी ने 'रामसेतु' को एक राष्ट्रीय धरोहर स्मारक के तौर पर घोषित करने के लिए केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध किया है।
पांडे ने पीठ से अनुरोध किया कि बोर्ड द्वारा दायर याचिका को स्वामी की लंबित याचिका के साथ नत्थी किया जाए। पीठ ने कहा कि अगर यह (याचिका) लंबित है तो लंबित है। आप क्या चाहते हैं? जब उन्होंने उक्त स्थान पर दीवार के निर्माण के लिए निर्देश देने के अनुरोध संबंधी अपनी याचिका का जिक्र किया तो पीठ ने कहा कि 2 तरफ दीवार का निर्माण कैसे किया जा सकता है? शीर्ष अदालत ने कहा कि क्या यह करना अदालत का काम है? ये सरकार के लिए प्रशासनिक मामले हैं। हमें इसमें क्यों पड़ना चाहिए? (भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta