नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा कि सामाजिक क्रांति रातोरात नहीं हो जाती है और इसमें समय लगता है। नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) में अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) एवं अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए सीटें आरक्षित करने की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी करते इस मामले पर सुनवाई से इंकार कर दिया कि सामाजिक क्रांति रातोरात नहीं हो जाती।
दायर याचिका में एनडीए में एससी, एसटी एवं ओबीसी के लिए सीटें आरक्षित करने के साथ ही एनडीए-2021 परीक्षा में भाग लेने और पास होने वाली महिलाओं की संख्या बताने की मांग भी की गई थी। जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने कहा कि अभी वह केवल एनडीए में महिलाओं के प्रवेश के मामले पर ही सुनवाई करेगी। शीर्ष अदालत ने केंद्र को एनडीए से पास होने वाली महिलाओं को सशस्त्र बलों में नियुक्ति देने से पड़ने वाले प्रभाव एवं सभी पहलुओं पर अध्ययन कर रिपोर्ट देते अगली सुनवाई 19 जुलाई को तय की है।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल महिला प्रतिभागियों को एनडीए की प्रवेश परीक्षा में भाग लेने की अनुमति दी थी। एनडीए-2021 में महिलाओं के लिए 19 सीटें तय की गई थीं। 2022 के लिए भी 19 सीटें ही रखने पर जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इसका कारण स्पष्ट करने के लिए कहा था। शीर्ष अदालत ने कहा कि 400 सीटों में से महिलाओं के लिए मात्र 19 सीटों को पर्याप्त नहीं माना जा सकता है।