नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने उस याचिका पर सुनवाई से बुधवार को इनकार कर दिया, जिसमें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और शीर्ष अदालत के कुछ मौजूदा न्यायाधीशों सहित कई बड़ी हस्तियों की चीन द्वारा निगरानी किए जाने तथा धन उधार देने संबंधी चीनी ऐप के जरिए नागरिकों के डेटा की चोरी के मामले में केंद्र को जांच का निर्देश दिए जाने का आग्रह किया गया है।
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने याचिका पर सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता संगठन सेव देम इंडिया फाउंडेशन इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय से निवेदन कर सकता है। पीठ ने कहा, ये संवेदनशील और उच्च सुरक्षा वाले मामले हैं। आप उचित मंत्रालय से निवेदन कर सकते हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता विशाल तिवारी ने दलील दी कि धन उधार देने वाले चीनी ऐप देश में भारतीय रिजर्व बैंक के किसी उचित दिशा-निर्देश के बिना काम कर रहे हैं और इससे नागरिकों की निजता का उल्लंघन हो रहा है।
पीठ ने कहा, आप गृह मंत्रालय या वित्त मंत्रालय से निवेदन करें। तिवारी ने डिजिटल इंडिया अभियान का संदर्भ देते हुए उचित साइबर सुरक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया और कहा कि मीडिया में ऐसी खबरें हैं कि चीन भारत में कई शीर्ष हस्तियों की जासूसी और निगरानी करने में लिप्त है।
शीर्ष अदालत ने जब इस बारे में सरकार से निवेदन करने को कहा तो तिवारी ने कहा कि वह अपनी याचिका वापस लेना चाहते हैं। पीठ ने उन्हें याचिका वापस लेने और अधिकारियों से निवेदन करने की अनुमति प्रदान कर दी।
याचिका में देश की कई बड़ी हस्तियों की चीन द्वारा निगरानी किए जाने तथा धन उधार देने संबंधी चीनी ऐप के जरिए नागरिकों के डेटा की चोरी के मामले में केंद्र को जांच का निर्देश दिए जाने का आग्रह किया गया था।(भाषा)