Lodhi period monument Case : उच्चतम न्यायालय ने यहां डिफेंस कॉलोनी स्थित लोधी कालीन एक स्मारक के संरक्षण में नाकाम रहने को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को फटकार लगाई है। सीबीआई ने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि 15वीं शताब्दी के इस ढांचे का इस्तेमाल एक आरडब्ल्यूए अपने कार्यालय की तरह कर रहा है।
रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) को 1960 के दशक से ढांचे को अपने कब्जे में रखने की अनुमति देने को लेकर एएसआई की निष्क्रियता पर नाराजगी जताते हुए, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्ला की पीठ ने कहा, आप (एएसआई) किस तरह के प्राधिकार हैं? आप प्राचीन स्मारकों की रक्षा करने के अपने दायित्व से पीछे हट गए हैं। हम आपकी निष्क्रियता से परेशान हैं।
इसने आरडब्ल्यूए की भी खिंचाई की, जिसने 1960 के दशक में 700 साल पुराने, लोधी कालीन मकबरे शेख अली की गुमटी पर कब्जा कर लिया था और अपने कब्जे को यह कहकर उचित ठहराया था कि अगर उसने ऐसा नहीं किया होता तो असामाजिक तत्व इसे नुकसान पहुंचा सकते थे।
पीठ ने आरडब्लूए से कहा, आपकी हिम्मत कैसे हुई इस ढांचे में घुसने की। आप किस तरह की दलीलें दे रहे हैं। साथ ही, पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी परिस्थिति में कब्जे की अनुमति नहीं दी जा सकती। मंगलवार को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति धूलिया ने आरडब्लूए के वकील से कहा कि न्यायालय उस ढांचे को खाली करने का निर्देश देगी, जिसमें सीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार एसोसिएशन द्वारा कई बदलाव किए गए हैं।
शीर्ष अदालत डिफेंस कॉलोनी निवासी राजीव सूरी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 के तहत ढांचे को संरक्षित स्मारक घोषित करने के लिए अदालत से निर्देश जारी करने का अनुरोध किया गया है। उन्होंने 2019 के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें उसने निर्देश पारित करने से इनकार कर दिया था। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour