नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एससी एसटी (SC/ST) अत्याचार निवारण कानून में संशोधन की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है।
जस्टिस अरुण मिश्र, जस्टिस विनीत सरन और जस्टिस रवीन्द्र भट्ट की बेंच ने मामले की सुनवाई की। 3 जजों की पीठ में 2-1 से यह फैसला कोर्ट ने सुनाया है।
कोर्ट के एससी/एसटी एक्ट पर इस फैसले के बाद अब सिर्फ शिकायत के आधार पर ही बिना किसी जांच के गिरफ्तारी होगी। हालांकि फैसले में कोर्ट ने अग्रिम जमानत को मंजूरी दी है।
कोर्ट ने कहा कि एफआईआर दर्ज करने से पहले भी किसी वरिष्ठ अधिकारी की अनुमति की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। हालांकि विशेष परिस्थितियों में कोर्ट एफआईआर खारिज कर सकता है।
केंद्र सरकार के संशोधित कानून को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गई थीं जिसे सोमवार को कोर्ट ने खारिज कर दी और केंद्र के संशोधित कानून को मंजूरी दे दी।
कोर्ट ने कहा कि इस एक्ट में तुरंत गिरफ्तारी का प्रावधान जारी रहेगा और किसी भी आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं मिलेगी। केंद्र का संशोधित कानून एसीसी/एसटी एक्ट के तहत गिरफ्तार किसी आरोपी को अग्रिम जमानत देने पर रोक लगाता है।
दरअसल, 20 मार्च 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट के दुरुपयोग के चलते इसमें मिलने वाली शिकायतों पर तुरंत एफआईआर और गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी।
इसके बाद केंद्र सरकार ने इस आदेश को पलटने के लिए कानून में संशोधन किया जिसकी वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।