नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सरकारी इमारतों को दिव्यांगजनों के अनुकूल बनाने के लिए उसके पिछले साल के फैसले का पालन नहीं करने पर बुधवार को केंद्र सरकार को फटकार लगाई और कहा कि सरकार को कानून-व्यवस्था का पालन करना था।
शीर्ष अदालत ने राज्यों द्वारा भी उसके आदेश का अनुपालन नहीं करने पर अप्रसन्नता व्यक्त की और संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों को चेताया कि उन्हें देरी का कारण बताने के लिए तलब किया जाएगा।
न्यायमूर्ति ए. के. सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने केन्द्र को चार सप्ताह के भीतर नया हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया जिसमे यह स्पष्ट करना होगा कि 15 दिसंबर, 2017 के फैसले के मद्देनजर क्या कदम उठाए गये हैं और इसे कब तक पूरा किया जाएगा।
पीठ ने कहा, 'हमने अपने 15 दिसंबर, 2017 के फैसले में कुछ भी नया नहीं कहा था। यह आपका (केन्द्र) कानून था और हमने आपको सिर्फ उसका पालन करने को कहा है। हम सरकार नहीं चला रहे हैं। आपको कानून-व्यवस्था का पालन करना है।'
अतिरिक्त सालिसीटर जनरल पिंकी आनंद ने कहा कि इस संबंध में वह चार सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करेंगी। उन्होंने कहा कि न्यायालय के फैसले के अनुरूप इस दिशा में काफी काम हुआ है। हालांकि, पीठ ने कहा कि केन्द्र विस्तृत हलफनामा दायर करे।
शीर्ष अदालत ने नई याचिका में न्यायपालिका को दिव्यांगजनों, खासतौर से नेत्रहीन लोगों, के अनुकूल बनाने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सभी उच्च न्यायालयों के रजिस्ट्रार जनरल और उच्चतम न्यायालय के सेक्रेटरी जनरल को नोटिस जारी किया।
शीर्ष अदालत ने 15 दिसंबर, 2017 को सरकारी भवनों, परिवहन और शिक्षण संस्थानों को दिव्यांगजनों के अनुकुल बनाने सहित 11 निर्देश दिए थे। (भाषा)