Waste Management case : उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि कचरे के स्रोत पर ही उसे अलग करना पर्यावरण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के राज्यों से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम-2016 के अनुपालन के बारे में भी पूछा। शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा, एक आदेश में हमने पाया है कि सभी स्मार्ट सिटी परियोजनाएं प्रगति पर हैं। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के अनुपालन के बिना शहर स्मार्ट कैसे बन सकते हैं? शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा, यदि उचित पृथक्करण नहीं होगा, तो अपशिष्ट से ऊर्जा बनाने वाली परियोजनाएं भी अधिक प्रदूषण पैदा करेंगी।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि 2016 के नियमों का पालन न करने से देश के सभी शहर प्रभावित हुए हैं। शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा, एक आदेश में हमने पाया है कि सभी स्मार्ट सिटी परियोजनाएं प्रगति पर हैं। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियमों के अनुपालन के बिना शहर स्मार्ट कैसे बन सकते हैं?
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में दिल्ली के अलावा हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ जिले शामिल हैं। अदालत ने कहा कि यदि कचरे को सही तरीके से अलग नहीं किया गया, तो कचरे से ऊर्जा बनाने वाली परियोजनाएं भी अधिक प्रदूषण पैदा करेंगी।
प्रदूषण मामले में न्यायमित्र एवं वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने एनसीआर में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का उल्लेख किया तथा कम मात्रा में अपशिष्ट को अलग किए जाने पर चिंता जताई। अपराजिता सिंह ने कहा कि अपशिष्ट को अलग-अलग न करके उसे सीधे अपशिष्ट से ऊर्जा बनाने वाले संयंत्रों में भेजने से प्रदूषण बढ़ता है।
शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा, जैसा कि न्यायमित्र ने सही कहा है, कचरे के स्रोत पर ही उसका पृथक्करण पर्यावरण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि उचित पृथक्करण नहीं होगा, तो अपशिष्ट से ऊर्जा बनाने वाली परियोजनाएं भी अधिक प्रदूषण पैदा करेंगी। एनसीआर राज्यों को सभी शहरी स्थानीय निकायों द्वारा 2016 के नियमों के प्रावधानों के अनुपालन के संबंध में हलफनामा दायर करने का आदेश दिया गया। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour