नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने दुनिया के सात अजूबों में शामिल आगरा के ऐतिहासिक ताज महल में बाहरी लोगों को नमाज अदा करने की अनुमति देने संबंधी याचिका सोमवार को खारिज कर दी। इस याचिका में न्यायालय से जिला प्रशासन को निर्देश देने की गुहार की गई थी कि वह बाहर के लोगों को ताज महल में नमाज़ पढ़ने की इजाज़त दे।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने ताज महल में बाहरी लोगों के नमाज अदा करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया। पीठ में न्यायमूर्ति अशोक एम खानविलकर और डीवाई चन्द्रचूड़ शामिल हैं। इस याचिका में न्यायालय से जिला प्रशासन को निर्देश देने की गुहार की गई थी कि वह बाहर के लोगों को ताज महल में नमाज़ पढ़ने की इजाज़त दे।
शीर्ष अदालत ने कहा कि ऐतिहासिक और दुनिया के सात अजूबों में शामिल ताजमहल को हर हाल में संरक्षित रखा जाना चाहिए। जिला मजिस्ट्रेट द्वारा 24 जनवरी को ताजमहल में बाहरी लोगों के नमाज अदा करने पर रोक लगाने बाद याचिकाकर्ता ने इसके विरुद्ध न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि ताज महल में नमाज अदा करने की कोई जरूरत नहीं है। नमाज किसी अन्य स्थान पर भी अदा की जा सकती है। गौरतलब है कि मुगल बादशाह शाहजहां ने बेगम मुमताज महल की याद में सत्रहवीं शताब्दी में आगरा में ताजमहल का निर्माण कराया था। ताजमहल को यूनेस्को ने 1983 में विश्व धरोहर का दर्जा दिया था। (वार्ता)