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सर्जिकल स्ट्राइक के बाद ट्रक में ले गए थे आतंकियों के शव!

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नई दिल्ली , बुधवार, 5 अक्टूबर 2016 (08:15 IST)
नई दिल्ली। उड़ी हमले के बाद हुई सर्जिकल स्ट्राइक पर बड़ा खुलासा करते हुए एक अंग्रेजी अखबार ने दावा किया कि नीलम वैली के छलकाना कैंप में भारी तबाही हुई थी। सर्जिकल स्ट्राइक में मारे गए आतंकियों के शवों को ट्रक में ले जाया गया था। 
 
 
 
 
 
इंडियन एक्सप्रेस ने चश्मदीदों के हवाले से कहा कि छलवाना कैंप में हुई सर्जिकल स्ट्राइक में 5-6 आतंकी मारे गए थे। इनके शवों को ट्रक में भरकर लश्कर के कैंप ले जाया गया था। यहां प्रार्थना सभा भी रखी गई थी। बाद में आतंकियों के शवों को अज्ञात स्थान पर दफना दिया गया। 
 
स्थानीय रहवासियों ने बताया कि उस रात अल हवाई ब्रिज पर भारी गोलीबारी की आवाजें आती रही। लोगों रात में अपने घरों से नहीं निकले इसलिए उन्होंने भारतीय सेना को नहीं देखा। हमले के अगले दिन लश्कर के लोग वहां दिखाई दिए। अखबार ने दावा किया कि इस स्ट्रा‍इक के बाद लश्कर की बैठक ने बुलाकर पाक सेना के प्रति नाराजगी जताई। बैठक में आतंकियों ने भारत से बदला लेने की बात भी कही। 
 
उल्लेखनीय है कि भारत ने 28-29 सितंबर की रात को पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक की थी। पाकिस्तान ने इससे इनकार करते हुए भारत सरकार से सबूत मांगा था। 
 
लाइन ऑफ कंट्रोल (LOC) के पार रहने वाले कुछ ऐसे लोग सामने आए जिनका दावा है कि उन्होंने बॉर्डर पार भारतीय सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक की गतिविधियों या फिर उसके नतीजों को देखा। उन लोगों ने बताया कि कैसे 29 सितंबर की सुबह-सुबह ही मारे गए लोगों को ट्रकों में भरकर अज्ञात जगह दफनाने के लिए ले जाया गया। कुछ चश्मदीदों ने यह भी बताया कि उन्हें वहां पर भारी गोलाबारी भी सुनाई दी थी जिसने आतंकियों के ठिकानों को नष्ट किया था। 
 
हालांकि, उन लोगों का मानना है कि इस सर्जिकल स्ट्राइक में आतंकियों को उतना नुकसान नहीं हुआ जितना की इंडियन आर्मी और मीडिया द्वारा बताया जा रहा है। चश्मदीदों का मानना है कि मारे गए आतंकियों की संख्या 38 से कम होगी और नुकसान भी बहुत कम हुआ होगा। दरअसल उन चश्मदीदों के कुछ रिश्तेदार भारत की तरफ रहते हैं। उनकी मदद से ही इंडियन एक्सप्रेस उनसे बात करने में सक्षम हुआ। चश्मदीदों ने उन जगहों का भी जिक्र किया जहां पर सर्जिकल स्ट्राइक हुई थीं। इंडियन एक्सप्रेस ने कुल पांच लोगों ने इस बारे में बात की।
 
चश्मदीदों में से दो लोगों ने सर्जिकल स्ट्राइक को सबसे करीब से महसूस करने की बात कही। वे दोनों दुदनैल में मौजूद थे। यह जगह एलओसी से 4 किलोमीटर अंदर (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की तरफ) है। चश्मदीदों ने बताया कि वहां अल-हवाई नाम का एक पुल है। उसके पास बनी एक बिल्डिंग को नष्ट किया गया था। चश्मदीदों के मुताबिक, उस जगह से ही आतंकी सामान लेकर भारत की तरफ दाखिल होने के लिए निकलते थे। 
 
चश्मदीदों ने बताया कि 5 या 6 शवों को सुबह ट्रक में भरकर ले जाया गया था। चश्मदीदों को लगता है कि शायद उन्हें पास ही के बड़े लश्कर कैंप में ले जाया गया होगा। वह कैंप चलाना में है। चलाना में ही एक मस्जिद भी है जिसमें उस सुबह, रात को मारे गए लोगों का बदला लेने की बात भी कही गई थी। चश्मदीद के मुताबिक मस्जिद में जमा लोग पाकिस्तान आर्मी को हमले के लिए जिम्मेदार बता रहे थे। वे लोग यह भी कह रहे थे कि आने वाले वक्त में भारत को जवाब दिया जाएगा जिसे भारत कभी नहीं भूलेगा।
 
एक चश्मदीद ने बताया कि इंडियन आर्मी ने खैराती बाग के पास बनी एक तीन मंजिला बिल्डिंग को भी नष्ट किया था। 2003 तक वहां से लश्कर का बड़ा कैंप चलता था। चश्मदीद ने बताया कि वहां 3-4 लोग मारे गए थे। साथ ही साथ एक चश्मदीद ने नीलम जिले में बने एक हॉस्पिटल में भी लोगों को सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में बात करते हुए सुना था। लेकिन वहां मारे गए लोगों के अंतिम संस्कार के बारे में कुछ पता नहीं लगा।


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