न्यूयॉर्क। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज कश्मीर मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विषवमन का सोमवार को करारा जवाब देंगी और शासन नीति के औजार के तौर पर आतंकवाद के इस्तेमाल के लिए पाकिस्तान को निशाने पर लेंगी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि पूरा विश्व और पूरा देश सुषमा स्वराज के संबोधन का इंतजार कर रहा है, जो 71वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा के लिए भारत का 'दृष्टिपत्र' पेश करेंगी।
आतंकवाद से मुकाबले को केंद्र में रखते हुए भारत, पाकिस्तान को आतंकवादी देश होने के लिए अलग-थलग करेगा जिसने 4 दिन पहले कश्मीर पर विस्तृत रूप से बात करने के लिए इस वैश्विक मंच का इस्तेमाल किया था।
भारत ने गुरुवार को पाकिस्तान पर सबसे करारा हमला करते हुए उसे आतंकवाद की शरणस्थली तथा ऐसा आतंकी देश करार दिया, जो आतंकवाद का इस्तेमाल सरकारी नीति के तौर पर करते हुए युद्ध अपराधों को अंजाम देता है और हाथों में बंदूक लेकर बातचीत की वकालत करता है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजदूत सैयद अकबरुद्दीन ने संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र में भारत के एजेंडे को रेखांकित करते हुए था कि आतंकवाद भारत के साथ-साथ विश्वभर के देशों के लिए प्राथमिक चिंता का विषय है। सुषमा संयुक्त राष्ट्र की आमसभा को संबोधित करेंगी और उनके शरीफ के भाषण का करारा जवाब देने की उम्मीद है।
स्वरूप ने कहा कि हम इसे लेकर उत्साहित हैं। हालांकि स्वरूप ने सुषमा के संबोधन में शामिल बातों की विस्तृत जानकारी नहीं दी लेकिन यह कहा कि पूरा विश्व और पूरा देश यह सुनने का इंतजार कर रहा है कि विदेश मंत्री क्या कहने वाली हैं? लेकिन मुझे लगता है कि मोटे तौर पर जिन मुद्दों को अकबरुद्दीन ने रेखांकित किया है, वे निश्चित तौर पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के इस सबसे अहम मंच पर हमारे प्रतिनिधित्व का हिस्सा बनने वाले हैं।
उन्होंने कहा कि आप आतंकवाद के मुद्दे को भारत द्वारा लगातार केंद्र में रखे जाने की उम्मीद कर सकते हैं, जो इस समय निश्चित तौर पर अंतरराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा पर मंडराने वाला एकमात्र सबसे बड़ा खतरा है।
इससे पहले विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर ने कहा था कि शरीफ का वैश्विक मंच पर आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी का महिमामंडन करना पाकिस्तान का स्वदोषारोपण है।
जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर शरीफ की ओर से लगाए गए बड़े आक्षेपों के बाद अपने जवाब के अधिकार का इस्तेमाल करते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन की प्रथम सचिव ईनम गंभीर ने कहा था कि मानवाधिकारों का सबसे बड़ा उल्लंघन आतंकवाद है।
उन्होंने कहा था कि आतंकवाद का इस्तेमाल जब सरकारी नीति के तौर पर किया जाता है तो यह युद्ध-अपराध होता है। मेरा देश और हमारे अन्य पड़ोसी पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को प्रायोजित करने वाली दीर्घकालिक नीति का सामना कर रहे हैं। इसके परिणाम हमारे क्षेत्र के पार तक फैले हुए हैं।
ईनम ने कहा था कि भारत, पाकिस्तान को एक आतंकी देश के रूप में देखता है, जो अपने पड़ोसियों के खिलाफ आतंकियों के माध्यम से छद्म युद्ध छेड़ने के क्रम में आतंकी समूहों को प्रशिक्षण, वित्त-पोषण और सहयोग देने के लिए अरबों डॉलर जुटाता है। इसका अधिकतर हिस्सा अंतरराष्ट्रीय मदद से आता है। (भाषा)