अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिप्राप्त अयोध्या धाम में बन रहे श्रीराम जन्मभूमि मंदिर, जिसका निर्माण करा रही निर्माण एजेंसी एलएनटी को सेफ्टी प्रोटोकॉल के लिए ब्रिटिश काउंसिल के द्वारा 'स्वार्ड ऑफ ऑनर' अवॉर्ड दिया गया। दुनिया में यह अंतरराष्ट्रीय स्तर का अवॉर्ड प्रमुख रूप से स्वार्ड ऑफ ऑनर पुरस्कार, स्वास्थ्य, सुरक्षा, और पर्यावरण प्रबंधन के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले संगठनों को दिया जाता है। यह पुरस्कार उन संगठनों को दिया जाता है जिन्होंने ब्रिटिश सेफ़्टी काउंसिल के फ़ाइव स्टार व्यावसायिक स्वास्थ्य और सुरक्षा ऑडिट में फ़ाइव स्टार रेटिंग हासिल की है।
इस पुरस्कार को पाने के लिए संगठनों को परिभाषित मानदंडों को पूरा करना होता है। ब्रिटिश सेफ़्टी काउंसिल, परियोजना स्थल पर जाकर सभी सुरक्षा नियमों और प्रथाओं की जांच करती है। अगर कोई संगठन पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करता, तो ब्रिटिश सेफ़्टी काउंसिल इस पुरस्कार को रोक, निलंबित या वापस ले सकती है।
भारत के लिए गर्व कि बात है कि अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का निर्माण कार्य करा रही निर्माण एजेंसी एलएनटी को भी ब्रिटिश सेफ़्टी काउंसिल ने स्वार्ड ऑफ ऑनर पुरस्कार से सम्मानित किया है। यह पुरस्कार मंदिर के निर्माण में सुरक्षा के उच्च मानकों का पालन करने के लिए दिया गया है।
ब्रिटेन के द्वारा अयोध्या राम मंदिर का निर्माण कार्य कर रही निर्माण एजेंसी एलएनटी जो कि अपनी उच्च गुणवत्ता के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जानी जाती है और जिसे ब्रिटेन से मिले इस इंटरनेशनल अवॉर्ड मिलने के बाद प्रमाणित भी कर दिया कि आज भी हमारे भारत में अंतरराष्ट्रीय स्तर की इंजीनियरिंग व तकनीकी के साथ उच्च स्तर के सेफ्टी प्रोटोकॉल के साथ कार्य किया जा रहा है, जिसका उदाहरण है अयोध्या का निर्माणाधीन राम मंदिर।
एलएनटी की कार्यप्रणाली : यहां हम जानकारी दे दें कि अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण का पूरा जिम्मा एलएनटी यानी कि (लार्सन एंड ट्रुबो) को दिया गया है। राम मंदिर के निर्माण कार्य की मुख्य खासियत के बारे में बता दें कि निर्माण कार्य एजेंसी के द्वारा राम मंदिर की बुनियादी मजबूती के लिए सेफ्टी स्टैंडर्ड का ध्यान रखते हुए राम मंदिर की मजबूती के लिए मंदिर की नींव को मजबूत बनाने के लिए पचास से अधिक परतें फ्लाईऐश, धूल व केमिकल से बनी हैं, इसके अतिरिक्त नींव की मजबूती के लिए ग्रेनाइट 21 फुट मोटे चबूतरे की मोटी परत भी बिछाई गई है, जिसके कारण नमी का प्रभाव नहीं पड़ेगा।
बिना लोहे के बनाया जा रहा है राम मंदिर : आपको जानकारी दे दें कि विश्व प्रसिद्ध राम मंदिर के निर्माण में लोहे का इस्तेमाल न के बराबर किया जा रहा है। मंदिर के निर्माण के लिए इनोवेटिव कंस्ट्रक्शन अप्रोच को अपनाया जा रहा है जिसके अंतर्गत पत्थरों को आपस में जोड़कर मजबूत स्ट्रेक्चर बनाया जा रहा है, जिससे तांबे के फ्लैप और पिन असेंबली को और मजबूत बनाते हैं।
राम मंदिर निर्माण की हाई टेक्नोलाजी : अयोध्या में बन रहे श्री रामलला के भव्य-दिव्य मंदिर के निर्माण में एजेंसी हाई टेक्नोलाजी का इस्तेमाल कर रही है, जिसमें मुख्य रूप से अल्ट्रासोनिक, इंफ़्रारेड थर्मोग्राफी जैसी तकनीकी का इस्तेमाल कर राम मंदिर का निर्माण करा रही है। यहां हम जानकारी दे दें कि अयोध्या में बन रहे श्रीराम जन्मभूमि मंदिर दुनिया का ऐसा मंदिर है, जिसके निर्माण से पूर्व ही BIM (बिल्डिंग इनफार्मेशन मॉडलिंग) टेक्नोलॉजी द्वारा 3D स्ट्रेक्चर एनालिसिस किया गया थां इस टेक्नोलॉजी के द्वारा संभावित खतरों से अलर्ट किया जा या बचा जा सकता है जिसके द्वारा निर्माण कार्य क्षेत्र के अंतर्गत बेहतर सेफ्टी प्रोटोकॉल प्रोटेक्शन दिया जाता है।
अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण 1800 करोड़ की लागत से भव्य-दिव्य रूप में कराया जा रहा है और जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर की निर्माण कार्य एजेंसी एलएनटी करवा रही है जिसका प्रमुख उद्देश्य है सेफ्टी और सुरक्षा जिसका पूर्ण रूप से पालन राम मंदिर के निर्माण में किया जा रहा है और इसी कार्य के लिए कंपनी को ब्रिटेन के द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर के सम्मान से सम्मानित किया गया।