Year-Ender 2024 : साल 2024 की विदाई का समय आ गया है। गुजरते साल पर अगर नज़र डालें तो 12 नवंबर 2024 की तारीख स्वर्ण अक्षरों में दर्ज की जाएगी। कारण, ये दिन पूरे और विश्व में बसे राम भक्तों के लिए एक लम्बी प्रतीक्षा का अंत बना।
अयोध्या, भगवान श्री राम की पावन नगरी, 12 नवंबर 2024 को ऐतिहासिक क्षण की साक्षी बनी। इस दिन श्री राम मंदिर में भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा का भव्य समारोह आयोजित किया गया। इस समारोह में देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
भव्य आयोजन में विश्वभर से पहुंचे श्रद्धालु
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के इस अद्भुत कार्यक्रम में पूरे विश्व से श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे। मंदिर को अद्वितीय सजावट से सजाया गया। फूलों, दीपों और रंगीन रोशनी ने इस आयोजन को और भी भव्य बना दिया। राम भक्तों ने जय श्री राम के नारों से वातावरण को भक्तिमय कर दिया।
मुख्य पुजारी द्वारा प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान
इस पवित्र अनुष्ठान का नेतृत्व श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मुख्य पुजारियों ने किया। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया संपन्न हुई। यह क्षण हर राम भक्त के लिए अत्यंत भावुक और आनंदमय था।
पूरे विश्व में उत्सव का माहौल
अयोध्या में आयोजित इस कार्यक्रम का लाइव प्रसारण किया गया, जिसे लाखों भक्तों ने टीवी और सोशल मीडिया के माध्यम से देखा। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, और यूरोप के देशों सहित दुनियाभर में राम भक्तों ने इसे अपने-अपने स्थानों पर उत्सव के रूप में मनाया।
प्रधानमंत्री और गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति
इस कार्यक्रम में भारत के प्रधानमंत्री सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने हिस्सा लिया। उन्होंने श्री राम मंदिर को भारतीय संस्कृति और एकता का प्रतीक बताया।
श्री राम मंदिर: भारतीय संस्कृति की शान
श्री राम मंदिर न केवल धार्मिक स्थल है, बल्कि भारतीय संस्कृति, धरोहर और आस्था का प्रतीक भी है। यह मंदिर न सिर्फ भारतवासियों के लिए बल्कि पूरे विश्व के हिंदुओं के लिए गर्व का विषय है।
राम भक्तों की अपार भक्ति
राम भक्तों ने इस अवसर पर भजन-कीर्तन और धार्मिक आयोजनों के माध्यम से अपनी भक्ति का प्रदर्शन किया। अयोध्या के अलावा सम्पूर्ण भारत और पूरी दुनिया में उत्सव का माहौल देखने को मिला। यह आयोजन न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के राम भक्तों के लिए अद्वितीय और अविस्मरणीय रहा।
साल 2024 की ये तारीख इतिहास के पन्नों में स्वर्णाक्षर में लिखी जाएगी।