नई दिल्ली। राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने कहा है कि देश में सिरिंज और सुइयां काफी ऊंची कीमत पर बेची जा रही हैं। फरवरी माह में एनपीपीए ने खुलासा किया था कि दिल्ली-एनसीआर के निजी अस्पताल दवा, सिरिंज और अन्य दूसरे कंज्यूमेबल्स और डायग्नोस्टिक पर 1737 फीसदी तक मुनाफा कमा रहे हैं।
संस्था का कहना है कि वितरकों को ये उत्पाद जिस दाम पर दिए जाते हैं, आगे इन्हें कई गुना कीमत पर बेचा जाता है। कुछेक मामले में तो 1,250 प्रतिशत तक का मुनाफा कमाया जाता है। आधिकारिक सूत्रों और विनिर्माताओं तथा आयातकों से उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर उसने सिरिंज और सुइयों में व्यापार मार्जिन या मुनाफे का विश्लेषण किया है।
नियामक ने एक रिपोर्ट में कहा कि सुई के साथ 5 एमएल की हाइपोडर्मिक डिस्पोजेबल सिरिंज वितरकों को औसतन 2.31 रुपए में दी जाती हैं लेकिन इन्हें 13.08 रुपए की अधिकमत खुदरा मूल्य पर बेचा जा रहा है। औसत मुनाफा जहां 636 प्रतिशत बैठता है तो कई जगह इसमें अधिकतम मुनाफा 1,251 प्रतिशत तक कमाया जा रहा है।
सुई के बिना 50 एमएल की हाइपोडर्मिक डिस्पोजेबल सिरिंज को अधिकतम 1,249 प्रतिशत मुनाफे के साथ बेचा जा रहा है। वितरकों को इसकी लागत 16.96 रुपए पड़ती है लेकिन इसे 97 रुपए के खुदरा मूल्य पर बेचा जाता है। जहां इस पर औसत मुनाफा 214 से 664 प्रतिशत बैठता है तो अधिकतम मुनाफा कई जगहों पर 1249 प्रतिशत तक कमाया जाता है।
नियामक ने कहा कि एक एमएल की सुई के साथ इन्सुलिन सिरिंज को 400 प्रतिशत के मुनाफे पर बेचा जा रहा है। वहीं बिना सुई वाली सिरिंज पर 287 प्रतिशत मुनाफा कमाया जा रहा है।
एनपीपीए ने कहा कि डिस्पोजेबल हाइपोडर्मिक सुई का वितरकों को औसत मूल्य 1.48 रुपए बैठता है पर इसे 4.33 रुपए के अधिकतम खुदरा मूल्य पर बेचा जाता है। जहां इसका औसत मुनाफा 270 प्रतिशत बैठता है लेकिन इसे अधिकतम 789 प्रतिशत तक के ऊंचे मुनाफे पर इसे बेचा जाता है।
एपिड्यूरल सुई का वितरकों को औसत मूल्य 160 रुपए बैठता है। इसे 730 रुपए के अधिकतम खुदरा मूल्य पर बेचा जा रहा है। इस पर 356 प्रतिशत का लाभ कमाया जा रहा है।