Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

रेणुका और मणिशंकर कांग्रेस पर बोझ

हमें फॉलो करें रेणुका और मणिशंकर कांग्रेस पर बोझ
नई दिल्ली , गुरुवार, 8 फ़रवरी 2018 (14:49 IST)
नई दिल्ली। राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा के जवाब के दौरान कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी की हंसी को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की टिप्पणी पर कांग्रेस भले ही सदन में हंगामा कर रही हो, लेकिन पार्टी समर्थक तहसीन पूनावाला ने उन्हें (सुश्री चौधरी) और पूर्व केन्द्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर दोनों को पार्टी पर बोझ बताया है।
 
पूनावाला ने ट्वीट किया कि कांग्रेस का प्रबल समर्थक होने के कारण मैं ईमानदारी से यह स्वीकार करता हूं कि रेणुका चौधरी और मणिशंकर अय्यर पार्टी के लिए भार हैं और इनके घमंड की वजह से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ रहा है। यह गांधी और नेहरू जैसों की पार्टी है। राज्यसभा में इस हंसी से मैं छटपटा गया।
 
मोदी राज्यसभा में राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का उत्तर दे रहे थे उस समय श्रीमती चौधरी जोर-जोर से हंस रही थी। सभापति वेंकैया नायडू के श्रीमती चौधरी से ऐसा नहीं करने का कहे जाने पर प्रधानमंत्री ने कहा था कि उन्हें न रोका जाए,ऐसी हंसी तो 20 साल पहले रामायण सीरियल के समय देखने को मिलती थी। इसके बाद सदन में जोरदार ठहाका लगा था। 
        
इसे लेकर कांग्रेस ने आज संसद में हंगामा किया और राज्यसभा की कार्यवाही को दो बजे तक स्थगित करना पड़ा। बुधवार को श्रीमती रेणुका चौधरी ने मोदी के इस बयान की निंदा की थी। संसद परिसर में श्रीमती चौधरी ने प्रधानमंत्री की टिप्पणी को निजी हमला बताते हुए कहा था कि वैसे भी आप उनसे और क्या उम्मीद कर सकते हैं। मैं इसका जवाब देकर उतना गिरना नहीं चाहती हूं। किसी महिला के खिलाफ इस तरह का बयान निंदनीय है।
 
webdunia
तहसीन पूनावाला टेलीविजन समाचार चैनल पर अक्सर नजर आते हैं और कांग्रेस का पक्ष मजबूती से रखते हैं। वह राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया का विरोध करने वाले शहजाद पूनावाला के भाई हैं। गौरतलब है कि हाल में संपन्न गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान अय्यर के प्रधानमंत्री पर दिए विवादास्पद बयान को लेकर काफी हंगामा हुआ था और यह चुनावी मुद्दा बन गया था। (वार्ता)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

पत्थरबाजों के मानवाधिकार, सैनिकों के क्यों नहीं...