बेंगलुरु। केंद्र सरकार ने 83 तेजस हल्के लड़ाकू विमान खरीदने के लिए हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ बुधवार को 48,000 करोड़ रुपए का सौदा किया। एक सीटर 'तेजस' 1350 किमी रफ्तार से गरजने वाला यह विमान दुनिया के सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमानों में से एक है।
'तेजस' की तुलना पाकिस्तान और चीन के शक्तिशाली लड़ाकू विमान जेएफ-17 थंडर से की जाती है। 'तेजस' में हवा में ही ईंधन भरा जा सकता है जबकि थंडर में यह सुविधा नहीं है। वायुसेना प्रमुख आरएएस भदौरिया ने भी तेजस को चीन और पाकिस्तान की तरफ से संयुक्त रूप से तैयार किए गए जेएफ-17 से भी इसे बेहतर बताया है।
जानिए क्या है इसकी खासियतें : भारत के डीआडीओ द्वारा विकसित 'तेजस' और 'थंडरबर्ड' लगभग एक समान समय के दौरान हल्के लड़ाकू विमान हैं जिनमें सिंगल सीट, सिंगल इंजन है और लाइटवेट होने के साथ उच्च सीमा की फुर्ती वाला सुपरसोनिक विमान है जो कि माक 1.4 की गति से उड़ सकता है।
-यह चार टन वजन के टैंकों को ले जाने में समर्थ है और विभिन्न प्रकार के हथियारों का बोझ उठाने में सक्षम है।
-इसमें अत्याधुनिक एवियोनिक्स एंड डिजिटल फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम है। फिलहाल यह अमेरिकी जीई के इंजन जीई एफ 404 से चलित है, लेकिन तेजस माक टू में जीई एफ 414 इंजनों का प्रयोग किया जाएगा।
-एचएएल ने इसे सिंगल वर्टिकल फिन के साथ विकसित किया है जिसका आगे और पीछे के हिस्से को छोटा बना दिया गया है। इसमें डेल्टा विंग कनफिगरेशन किया गया है।
-तेजस में आधुनिक डिजाइन कंसेप्ट्स को अत्याधुनिक तकनीकों से लैस किया गया है। इन तकनीकों में फ्लाई बाई वायर फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम, एडवांस्ड डिजिटल कॉकपिट, मल्टी मोड राडार, इंटीग्रेटेड डिजिटल एवियोनिक्स सिस्टम और एक फ्लैट रेटेड इंजन से इंजन से लैस किया गया है। इसकी टेकऑफ और लैंडिंग बहुत छोटी है और इसकी उड़ान का प्रदर्शन उत्कृष्ट है।
-सेफ्टी, रिलाइबिलिटी और मैनटेनेबिलिटी में भी यह बेजोड़ है।
-इस विमान में एक नाइट विजन कम्पेटेबल ग्लास कॉकपिट है जिसमें मार्टिन बेकर (ब्रिटेन) की जीरो-जीरो इजेक्शन सीटें हैं।
-बेंगलोर के एडवांस्ड सिस्टम्स इंटीग्रेशन एंड एवैल्युएशन ऑर्गनाइजेशन (एएसआईइओ) ने विमान को इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सुइट के तौर पर विकसित किया है।
-इसमें राडार वार्निंग रिसीवर एंड जामर, लेजर वार्नर, मिसाइल अप्रोल वार्नर, शाफ एंड फ्लेयर डिस्पेंसर को लगाया गया है।
-स्पीड, एक्सेलरेशन, गतिशीलता ( मैन्योरबिलिटी), एजिलिटी (फुर्ती) के मामले में इस विमान की डिजाइन को आधुनिक युद्धक विमानों को देखते हुए बनाया गया है।
जेएफ-17 थंडरबर्ड कैसा है? : जेएफ-17 का एयरफ्रेम सेमी- मॉनेकॉक ढ़ांचे की तरह होता है और इसकी एयरफ्रेम इस तरह से डिजाइन किया जाता है कि यह 25 वर्ष या चार हजार फ्लाइट आवर्स की सेवा देने में समर्थ होता है।
इस विमान में एक कम्पोजिट फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम (एफसीएस) होता है जिसमें परम्परागत कट्रोल एंड स्टेबिलिटी आगमेंटेशन (बढ़ोत्तरी) के लिए या एंड रोल एक्सिस और एक डिजिटल फ्लाइ बाई वायर (एफबीडब्ल्यू) सिस्टम को पिच एक्सिस में लगाया जाता है।
इस विमान में एक सिंगल रूसी क्लिमोव आरडी-93 टर्बोफैन इंजन लगा होता है जोकि एक प्रकार का ऐसा इंजन होता है जोकि मुख्य रूप से आरडी-33 इंजन किस्म का होता जिनका मिग फाइटर विमानों में इस्तेमाल किया जाता है। इस विमान में 3629 किलोग्राम (8000 पौंड) बजन की हवा से हवा में हवा से जमीन में मार करने वाला बारूद ले जाने में सक्षम है।
2018 में ही पाक ने माना लोहा : तेजस के थंडरबर्ड पर भारी होने की बात वर्ष 2018 में पाकिस्तान ने भी मान ली थी। तब बहरीन इंटरनेशनल एयरशो से पाकिस्तान ने अपने विमान को तेजस की वजह से हटा लिया था। चीन के मिग-21 को सुधारकर बनाए गए पाकिस्तान के थंडरबर्ड को कामरा एयर कॉम्प्लेक्स में विकसित किया गया है। बहरीन एयरशो से पाक के थंडरबर्ड के हटने के बाद कहा गया कि पाकिस्तानी वायुसेना को डर है कि एयर शो के दौरान न केवल दोनों विमानों को आसपास ही प्रदर्शित किया जाना था, वरन थंडरबर्ड की भारतीय तेजस से तुलना की जाएगी।
इस शो भारत और पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों को एक ही एक्जीबीशन पैड 'नंबर 15' पर रखा जाना था। चूंकि दोनों ही एक सीटर लड़ाकू विमान है और दोनों की उड़ान की प्रदर्शन क्षमता को लेकर तुलना होना भी स्वाभाविक थी। पहले ही इस बात को लेकर आशंकाएं जाहिर की जा रही थीं कि एयरशो के दौरान शायद ही चीन-पाकिस्तान के 'थंडरबर्ड' को प्रदर्शित किया जाए।
एक पुराने लड़ाकू विमान को प्रदर्शित करने के साथ पाकिस्तान के लिए यह मुश्किल होता कि पाकिस्तानी वायुसेना इसकी प्रशंसा में कसीदे पढ़ती और इसकी बराबरी तेजस करने की हिम्मत जुटा पाती। उल्लेखनीय है कि 'तेजस' चौथी पीढ़ी का विमान है जो कि थंडर के ऊपर से टाइट-जी टर्न्स लेने की क्षमता रखता है। इसके अलावा, थंडरबर्ड की तुलना में इसकी गति परिवर्तशीलता और चुपके से हमला करने के गुणों अत्यधिक श्रेष्ठ है। वास्तव में, इन दोनों प्रकार के विमानों की तुलना में पीढ़ियों के अंतर को आसानी से देखा जा सकता है।
अपनी श्रेष्ठता की पोल खुलने की बजाय पाकिस्तान ने पांच लाख डॉलर से हासिल किए प्रदर्शनी के स्पेस की बयाना राशि को गंवाना ही बेहतर समझा है। विशेषज्ञ अगर दोनों विमानों को देखते तो तेजस के मुकाबले 'थंडरबर्ड' को आलोचना और नकारात्मक प्रचार ही मिलता। इसलिए पाकिस्तान ने 'तेजस' की अपने 'थंडरबर्ड' से मुकाबले के पहले ही हथियार डाल दिए हैं।
बहरीन के शो में रखे जाने वाले तेजस के पांचवें से लेकर सातवें नमूनों में से दो नौसेना के थे। जब तेजस विकसित हो रहा था तो जलसेना ने घरेलू नेवलाइज्ड वर्जन को अपना समर्थन दिया और इसकी क्षमता में विश्वास बनाए रखा जबकि इस मामले में भारतीय वायुसेना पीछे रही।