सीमा सुरक्षा बल यानी बीएसएफ के एक जवान तेजबहादुरसिंह यादव ने सोशल मीडिया पर कुछ फोटो और वीडियो डालकर इस अर्धसैनिक बल की व्यवस्थाओं पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। इस वीडियो के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। यादव ने अपनी व्यथा व्यक्त करते हुए वीडियो में बताया कि उन्हें किस तरह का खाना दिया जाता है, जबकि सरकार से इसके लिए पूरा पैसा मिलता है। हालांकि उन्होंने सरकार पर कोई सवाल नहीं उठाया, लेकिन खराब व्यवस्था के लिए वरिष्ठ अधिकारियों पर जरूर निशाना साधा। इस वीडियो के सामने आने के बाद यह चिंता जरूर होती है कि भ्रष्टाचार की जड़ें देश में कितनी गहरी हैं।
अभी तक लोगों को सुरक्षा बलों की अच्छाइयां ही देखने-सुनने को मिलती हैं, लेकिन इसका एक स्याह पक्ष यह भी है। तेजबहादुर के आरोपों में कितनी सच्चाई है, यह जांच बाद पता चलेगा या फिर ज्यादातर मामलों में जिस तरह लीपापोती है, इसमें भी हो जाएगी। इस बीच, गृह मंत्रालय ने इस पूरे मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं। साथ ही यादव को एलओसी से हटाकर हेडक्वार्टर शिफ्ट कर दिया गया है और बटालियन कमांडेंट को भी छुट्टी पर भेज दिया गया है। तेजबहादुर को 10 दिन पहले ही बीएसएफ के पुंछ सेक्टर में 39वीं बटालियन में तैनात किया गया था।
8 जनवरी, रविवार को तेजबहादुर ने अपने अपने फेसबुक अकाउंट से सेना को मिलने वाले खाने की वीडियो बनाकर पोस्ट की थी, जिसमें दिखाया गया था कि सुरक्षाकर्मियों को नाश्ते के नाम पर जला हुआ परांठा, चाय और खाने के नाम पर बिना किसी मसाले के सिर्फ हल्दी और नमक वाली दाल और रोटियां मिलती हैं। जवान ने वीडियो में यह भी कहा कि ऐसे खाने के साथ आखिर कैसे घंटों सीमा पर खड़े रहना कैसे संभव है? जवान ने कहा कि सरकार की ओर से सेना को सभी सुविधाएं और पर्याप्त राशन मुहैया कराया जाता है, लेकिन उच्च अधिकारी इसे मिली भगत से बाजार में बेच देते हैं।
हालांकि कुछ लोग यादव की इस हरकत को गलत भी मान रहे हैं और इसे पुंछ में मिली पोस्टिंग से उपजी कुंठा से भी जोड़ रहे हैं। इसमें गलती किसकी है यह तो जांच के बाद ही सामने आएगा, लेकिन इस पूरे घटनाक्रम से सुरक्षाबलों की छवि को जरूर आघात पहुंचा।
क्या सुरक्षाबलों में वाकई ऐसा होता या फिर यह एक महज आरोप है? आप इस बारे में क्या सोचते हैं, अपने विचार जरूर साझा करें...