Jammu and Kashmir News : हालांकि कश्मीर में बढ़ते आतंकी हमले पर्यटकों के कदमों को पूरी तरह से रोक तो नहीं पाए हैं, पर इतना जरूर है कि टूरिस्टों के कदम डगमगाने जरूर लगे थे, जो कश्मीर की ओर रुख करने से पहले 2 बार सोच जरूर लेना चाहते हैं। यही कारण था कि टूरिज्म से जुड़े लोगों को एक बार फिर अपनी रोजी-रोटी की चिंता सता रही है जिस कारण वे चिंतित हो उठे हैं।
यह सच ही है कि कश्मीर वादी में हाल ही में हुए कई बड़े आतंकी हमले भी पर्यटकों को यहां आने से रोक नहीं पाए। गुलमर्ग और सोनमर्ग जैसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों के निकट हुए हमलों के बावजूद हर दिन हजारों पर्यटक शरद ऋतु का आनंद लेने के लिए कश्मीर पहुंच रहे हैं, पर डल झील शिकारा एसोसिएशन के अध्यक्ष वली मोहम्मद कहते थे कि कि अक्टूबर-नवंबर के दौरान कई लोग पूजा की छुट्टियों के दौरान कश्मीर आते थे, क्योंकि उन्हें घूमने का मौका मिलता था।
लेकिन पर्यटन स्थलों के आसपास आतंकवादी हिंसा की कई घटनाओं ने लोगों में दहशत पैदा कर दी है, वहीं जेएंडके होटलियर एसोसिएशन के सचिव तारिक गनी के बकौल ऐसी जगह कौन आना चाहेगा, जहां हिंसा का खतरा हो। लोग मौज-मस्ती करने आएंगे और अगर स्थिति खराब हो तो लोग क्यों आएंगे? तारिक अकेले ऐसी चिंता जताने वाले नहीं हैं, बल्कि व्यापार से जुड़े लोगों को अभी भी उम्मीद है कि सरकार की मदद से वे कश्मीर को सुरक्षित जगह के रूप में पेश कर पाएंगे ताकि शरद ऋतु और सर्दियों के पर्यटन को बचाया जा सके।
इस सच्चाई से कोई मुख नहीं मोड़ता कि हाल के आतंकी हमलों में सुरक्षाकर्मियों समेत कई लोगों की जान गई है, लेकिन इसका कश्मीर में आने वाले पर्यटकों की संख्या पर फिलहाल खास असर नहीं पड़ा है। सरकारी दावा यह है कि इन हमलों के बावजूद लोग कश्मीर में रंग बदलते चिनार के पेड़ों का अद्भुत नजारा देखने पहुंच रहे हैं।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार हर दिन लगभग 7-8 हजार लोग कश्मीर आते हैं जिनमें से 3-4 हजार पर्यटक होते हैं। गुलमर्ग और सोनमर्ग जैसे स्थानों पर पर्यटकों का उत्साह कम नहीं हुआ है। हमले के तुरंत बाद कश्मीर आए उत्तरप्रदेश, राजस्थान और बंगाल से आए पर्यटकों ने बताया था कि उन्हें कश्मीर में घूमते हुए कोई असुरक्षा महसूस नहीं हुई। एक पर्यटक शफा खान के शब्दों में हमें यहां बहुत अच्छा लग रहा है और यह जगह वास्तव में स्वर्ग जैसी है। हमें सुरक्षा को लेकर कोई डर महसूस नहीं हुआ। शोएब खान और अन्य पर्यटकों ने भी इस बात को दोहराया था कि वे हर साल यहां आते हैं।
इतना जरूर था कि कश्मीर में पर्यटन से जुड़े लोगों ने कश्मीर में आतंकी घटनाओं की निंदा की है और उन्हें अस्वीकार्य बताया है। उन्होंने कहा कि उद्योग शांति बहाल करने में सरकार का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस क्षेत्र से जुड़े कई कारोबारी नेताओं की संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पर्यटन से जुड़े लोगों ने कहा कि वे कश्मीर घाटी में शांति चाहते हैं।
जम्मू कश्मीर होटलियर्स क्लब के चेयरमैन मुश्ताक छाया के बकौल यह कश्मीरियों को स्वीकार्य नहीं है। हम उन लोगों से अनुरोध करते हैं, जो इसके पीछे हैं, वे ऐसा न करें। यह स्वीकार्य नहीं होगा कि यहां लोग मारे जाएं और अर्थव्यवस्था बर्बाद हो जाए। उन्होंने कहा कि लाखों लोग अपनी आजीविका के लिए पर्यटन पर निर्भर हैं और ऐसी घटनाओं का उद्देश्य शांति को पटरी से उतारना और पर्यटन को प्रभावित करना है। छाया ने कहा कि यह कश्मीरियों को अस्वीकार्य है। हम केवल शांति चाहते हैं।
जानकारी के लिए अभी तक 2023 में ही 2.11 करोड़ पर्यटकों के आने का रिकॉर्ड है जबकि 2024 में जून तक ही 1.2 करोड़ पर्यटक यहां जा चुके हैं। इसमें बड़े पैमाने पर विदेशी भी शामिल हैं। कोरोना काल में जरूर यह थोड़ा घटे थे। 2020 में 34 लाख पर्यटक आए थे। 2021 में 1.13 करोड़ तो 2022 में 1.8 करोड़ पर्यटक आए, जो लगातार बढ़ रहे हैं। प्रदेश में पर्यटन लोगों के जीवन का आधार बन गया है। 5 लाख लोगों को इससे सालाना लाभ मिल रहा है।