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अब आतंकियों ने भारत में घुसपैठ के लिए चुना यह रास्ता

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सुरेश डुग्गर

, सोमवार, 10 अक्टूबर 2016 (18:45 IST)
श्रीनगर। है तो यह हैरान करने वाली बात लेकिन सच है कि पाक परस्त आतंकी अब कश्मीर में हमलों की खातिर पानी का रास्ता अख्तियार करने लगे हैं। पिछले कुछ दिनों में हुए आतंकी हमलों के लिए आतंकियों ने झेलम दरिया को माध्यम बनाया और वे पाक कब्जे वाले कश्मीर से इसी रास्ते से आए।
पंपोर में हुए ताजा हमले में भी आतंकियों ने झेलम का रास्ता चुना था और बारामुला तथा उड़ी में हुए हमलों के लिए भी उन्होंने झेलम को ही चुना था, जबकि कुछ अरसा पहले जम्मू में हुए हमले के लिए आतंकियों ने दरिया चिनाब को तैर कर पार किया था।
 
याद रहे पिछले दिनों बारामुला में भी रात के समय हुए हमलों के दौरान आतंकियों के नदी के रास्ते आने की बात सामने आई थी, जिससे यह बात सच साबित होने लगी है कि अब आतंकी एलओसी के बजाय घुसपैठ के लिए पानी के रास्ते को चुनने लगे हैं। सूत्रों के मुताबिक सीमा पर सेना की चौकसी के चलते आतंकियों की घुसपैठ लगातार नाकाम हो रही है।
 
इसके विकल्प के तौर पर अब आतंकी नदियों के रास्ते घुसपैठ करके हमले की जगह पर पहुंच रहे हैं। पिछले दिनों आई खबरों के मुताबिक सीमा पार के ट्रेनिंग कैंपों में आतंकियों को तैरने की ट्रेनिंग के लिए विदेशी ट्रेनर लाए गए हैं, जिनसे तैरने की स्पेशल ट्रेनिंग लिए आतंकी घंटों तक गहरे पानी के भीतर घात लगाकर रह सकते हैं।
 
दरअसल ये शक इसलिए और भी गहरा जाता है क्योंकि बारामुल्ला, उड़ी और पंपोर में जिन जिन जगहों पर आतंकियों ने हमला किया है वो सभी नदियों के आसपास ही हैं। आतंकियों ने हर हमले में सुरक्षाबलों को निशाना बनाने की कोशिश की है।
 
और इसके अलावा उड़ी के हमले से लेकर नौगाम तक के हर आतंकी हमले में पाकिस्तान में बने सामान बरामद हुए हैं जिससे ये शक गहरा जाता है कि इन आतंकियों को पाकिस्तान में आतंकी ट्रेनिंग मिली हो सकती है। उड़ी के हमले के बाद हुई सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से ही खुफिया रिपोर्ट में ये खुलासा हुआ था कि पाकिस्तान ने सरहद के पास चल रहे अपने आतंकी कैंपों को शिफ्ट किया है।
 
कुछ दिन पहले आई खबरों में इस बात का भी खुलासा हुआ था कि आतंकी संगठन लश्कर ने कश्मीर घाटी में हमले के लिए अपनी रणनीति में बदलाव किया है। कश्मीर घाटी में लश्कर-ए तैयबा ने अब हमले का तरीका बदल दिया है। पहले फिदायीन हमलावर घुसपैठ के तुंरत बाद हमले को अंजाम देते थे लेकिन अब घुसपैठ के बाद स्लीपर सेल की मदद से पहले पनाह लेते हैं और सैन्य शिविरों की सुरक्षा व्यवस्था की बारीकी से पड़ताल के बाद हमले करते हैं।
 
सेना के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक उड़ी हमले के फिदायीन हमलावरों ने ताजा घुसपैठ की थी, लेकिन बाद में बारामुला और फिर लंगेट के सैन्य कैंप पर हमला करने वाले आतंकियों के बारे में हमले से कम से कम तीन दिन पहले घुसपैठ की हो सकती है, जबकि पंपोर के आतंकियों के प्रति कहा जा रहा है कि वे भी उसी दल का हिस्सा हो सकते हैं जो उड़ी में हमले के लिए जिम्मेदार थे।

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