जम्मू। स्वतंत्रता दिवस पर कहर बरपाने के इरादों से बड़ी संख्या में आतंकी उस पार से इस ओर घुसपैठ कर चुके हैं। राजौरी में सेना के कैंप पर हुआ फिदायीन हमला, जिसमें चार जवान शहीद हो गए थे, उसी कड़ी का एक हिस्सा बताया जा रहा है। ऐसी जानकारियों के बाद पूरे प्रदेश में हाई अलर्ट जारी किया गया है।
अधिकारियों का दावा है कि करीब 10 दिन पहले 7 से 8 आतंकी सरहद पार करके भारतीय क्षेत्र में दाखिल हुए थे। यह एलओसी के अलग अलग क्षेत्रों में फैल गए। आतंकियों की तलाश कालाकोट, थन्नामंडी, बुद्धल के कुछ क्षेत्रों में की जा रही है।
आत्मघाती दस्ते में शामिल सभी आतंकी 20 से 22 साल की आयु के हैं। ये सभी पाकिस्तानी हैं। बताया जाता है कि ये वहीं आतंकी हैं जिन्हें उस कश्मीर में आतंकी प्रशिक्षण शिविरों में कड़ा प्रशिक्षण दिया गया है। आतंकी सभी प्रकार के हथियार चलाने में माहिर हैं।
अधिकारियों का दावा है कि सुरक्षित एक जगह से दूसरी तक पहुंचने के लिए आतंकियों को सीमा पार से काले कपड़े पहनाकर भेजा गया है। ताकि ये एसओजी और सेना की घातक टीम के जवान लगें। आतंकी सुरक्षा बलों को निशाना बनाने की फिराक में हैं।
सूत्रों का कहना है कि कश्मीर में आतंक की कमर टूट चुकी है और अब आतंकी राजौरी व पुंछ दोनों जिलों में गतिविधियां फिर से चला सकें। पुलिस का कोई भी अधिकारी इस मसले पर खुलकर नहीं बोल रहा है।
हालांकि अधिकारी यह बताने में असमर्थता जाहिर करते थे कि घुसने वाले आतंकी कितनी तादाद में हैं पर वे कहते थे कि कुछ दल एलओसी और इंटरनेशनल बार्डर क्रास करने में उस समय कामयाब रहे जब पाक सेना ने उन्हें इस ओर धकेला है।
पिछले कई दिनों से एलओसी पर पाक सेना द्वारा ड्रोनों की आड़ में सुरक्षाबलों का ध्यान बंटा कर ऐसे प्रयासों को कामयाब बनाया गया है। जम्मू सीमा पर फिलहाल फायरिंग की कोई घटना नहीं हुई है पर बरसात के कारण उन नदी-नालों के इलाकों से तारबंदी को पहुंचे नुक्सान का लाभ आतंकियों ने उठाया है जिन्हें पाक रेंजर पिछले कई दिनों से अग्रिम ठिकानों पर ले आए थे।
बीएसएफ अधिकारियों का कहना था कि 5 अगस्त से ही इंटरनेशनल बार्डर के पार वाले पाक सैन्य ठिकानों पर नागरिकों की आवाजाही बढ़ी थी जो दरअसल आतंकी ही हैं।
अधिकारी कहते थे कि मिलने वाली सूचनाएं कहती हैं कि घुसने वाले आतंकी जम्मू में जम्मू-पठानकोट हाइवे पर सैन्य संस्थानों के अतिरिक्त इंटरनेशन बार्डर के साथ-साथ चलने वाली जम्मू-पठानकोट रेल लाइन को निशाना बना सकते हैं। जबकि कश्मीर में भी घुसपैठ कर चुके आतंकी सैन्य संस्थानों को निशाना बनाने का इरादा लिए हुए हैं।