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फिटनेस के पागलपन में जान की जोखिम, पसर रहा प्रोटीन पावडर और स्टेरॉयड का खेल

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नवीन रांगियाल

, बुधवार, 31 जनवरी 2024 (16:02 IST)
Protein Powder and Steroids : जिम, एक्‍सरसाइज, वर्कआउट और फिटनेस। ये आज के युवाओं की लाइफ का फंडा है। आज फिटनेस के लिए योगा, पावर योगा और जिम बड़ी संख्‍या में खुल गए हैं। वजन बढ़ाना हो या घटाना हो। मसल्‍स बनाना हो या सिर्फ फिट रहना हो। हर तरह की बॉडी फिटनेस के लिए स्‍पेशलाइज्‍ड जिम और उनमें फिटनेस ट्रेनर्स मौजूद हैं। आलम यह है कि अब तो कॉर्पोरेट की तर्ज पर सर्विस देने वाले जिम खुलने लगे हैं, जहां हजारों से लेकर लाखों के पैकेज में सेवाएं उपलब्‍ध हैं।

लेकिन, इन सब के साथ प्रोटीन पावडर, वेट गेनर, वेट लूजर और तमाम तरह के फूड सप्लीमेंट्‍स का धंधा भी धड़ल्‍ले से चल रहा है। इंदौर से लेकर राजधानी दिल्‍ली तक और माया नगरी मुंबई से लेकर चंडीगढ़ तक प्रोटीन के नाम पर स्टेरॉयड परोसा जा रहा है।

कैसे बढ़ रहा ये धंधा : प्रोटीन पावडर और फूड सप्लीमेंट्‍स के बाजार का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इन प्रोडक्‍ट को बनाने वाली कंपनियों की संख्‍या पिछले 3 साल में 20 हो गई है। 1 हजार रुपए प्रति किलो से लेकर ढाई से 3 हजार रुपए प्रति किलो के कई कंपनियों के प्रोटीन पावडर बाजार में उपलब्‍ध है। पिछले कुछ सालों में ही इनकी बिक्री 25 से 30 प्रतिशत तक बढ़ गई है। वेट गेन से लेकर वेट लॉस और शरीर के अलग-अलग हिस्‍सों को उभारने के लिए खासतौर से प्रोडक्‍ट बाजार में उपलब्‍ध हैं। यह सारे प्रोडक्‍ट टेबलेट, ऑइल और पावडर फॉर्म में उपलब्‍ध हैं।

तगड़ा नेटवर्क है : दरअसल बाजार में कई तरह के प्रोटीन पावडर और फूड सप्लीमेंट्‍स के लिए तमाम दुकानें खुल गई हैं। यूं तो ये दुकानदार स्टेरॉयड की बिक्री से इनकार करते हैं, लेकिन वेबदुनिया ने जब इसकी पड़ताल की तो सामने आया कि एक बड़ा नेटवर्क इस धंधे में काम करता है। इनमें जिम संचालक, ट्रेनर्स से लेकर दुकानदार और यहां तक कि डायटीशियन स्‍तर तक के लोग शामिल हैं, जो इस तरह के फूड सप्लीमेंट्‍स को प्रमोट करते हैं।
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पूरा गिरोह काम करता है : रोहित श्रीवास जिम ट्रेनर हैं, वे लंबे समय से जिम में स्‍पोर्ट्स वाले लोगों को सलाह देते हैं। उन्‍होंने बताया कि अगर कुछ एक जिम को छोड़ दें तो ज्‍यादातर जिमों में प्रोटीन पावडर और स्टेरॉयड को प्रमोट किया जाता है। इसके लिए जिम संचालक से लेकर ट्रेनर्स, दुकानदार और यहां तक कि डायटीशियन तक का नेटवर्क बना हुआ है। इन फूड सप्लीमेंट्‍स का फायदा- नुकसान देखे बगैर इसके इस्‍तेमाल के लिए लोगों को सलाह दी जाती है। जानकारी के अभाव में जिम जाने वाले जल्‍दी रिजल्‍ट की उम्‍मीद में इसका धड़ल्‍ले से इस्‍तेमाल कर रहे हैं।

दुकानदार करते हैं इनकार : इस बारे में जब वेबदुनिया ने कुछ दुकानदारों से चर्चा की तो उन्‍होंने बताया कि वे स्टेरॉयड वाले प्रोडक्‍ट नहीं बेचते हैं। उन्‍होंने दावा किया कि उनके पास सिर्फ मिल्‍क से बने प्रोटीन पावडर हैं। जिनसे किसी तरह का नुकसान नहीं होता है। उन्‍होंने बताया कि वे प्रोडक्‍ट खरीदने पर बिल देंगे और बिल भी जीएसटी वाला होगा। हम स्टेरॉयड बेस सप्लीमेंट्‍स नहीं बेचते।

सीधे जिम में सप्‍लाय होता है स्टेरॉयड : दूसरी तरफ जानकारी मिली कि स्टेरॉयड वाले फूड सप्लीमेंट्‍स दुकानों पर भले न मिलें, लेकिन दुकानों से सीधे जिम में सप्‍लाय होते हैं, जिन्‍हें जिम में आकर बॉडी बनाने वालों के सामने प्रमोट किया जाता है। एक जिम संचालक ने अपना नाम प्रकाशित नहीं करने के निवेदन पर बताया कि जिम ट्रेनर खुद वजन घटाने और बढ़ाने वाले फूड सप्लीमेंट्‍स अपने यहां आने वालों को बेचते हैं, जिनमें स्टेरॉयड बेस्‍ड प्रोडक्‍ट भी शामिल हैं।
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क्‍या हुआ इंदौर में : इंदौर की द्वारकापुरी थाना पुलिस के मुताबिक प्रिकांको कॉलोनी की रहने वाली वैष्णवी अग्रवाल, उम्र 23 वर्ष गोपुर चौराहा पर विल पॉवर जिम में रेगुलर जाती थी। यहां एक्सरसाइज के दौरान उसे प्रोटीन के डोज भी दिए गए। इसी बीच वैष्णवी की तबीयत बिगड़ गई। परिवार ने अचानक बीमार होने की वजह पूछी तो उसने बताया कि जिम में ज्यादा एक्सरसाइज कराने के साथ प्रोटीन के हैवी डोज दिए गए थे। इसी का असर है। यह सुनकर लड़की का भाई मयंक भड़क गया और अपनी बहन वैष्णवी को लेकर जिम पहुंचा। यहां उसने हैवी डोज को लेकर आपत्ति जताई। इस पर आरोपी जिम संचालक वैभव शुक्ला ने चिल्लाना शुरू कर दिया। बाद में दोनों से मारपीट कर जान से मारने की धमकी भी दी।

भारत में बढ़ा न्यूट्रास्यूटिकल्स का ट्रेंड : भारत में एक नया टर्म चलन में है जिसे न्यूट्रास्यूटिकल्स कहा जा रहा। FSSAI के अनुसार, न्यूट्रास्यूटिकल्स ऐसा फूड है जिससे न केवल शरीर में न्यूट्रिएंट्स की कमी को पूरा किया जाता है बल्कि कई बीमारियों को ठीक करने में भी यह मददगार होता है। न्यूट्रास्यूटिकल्स तीन तरह के हैं। खाने-पीने की चीजें, बेवरेज और डायटरी सप्लीमेंट्स। दिलचस्प यह है कि भारत में 64% न्यूट्रास्यूटिकल्स विटामिन और मिनरल के सप्लीमेंट्स के रूप में उपलब्‍ध हैं।

स्टेरॉयड का काम क्या है : विशेषज्ञों के मुताबिक स्टेरॉयड शब्द आमतौर पर दवाओं की एक श्रेणी से जुड़ा है, जिसका प्रयोग कई बीमारियों में इलाज के लिए किया जाता है। स्टेरॉयड का उपयोग इलाज में पुरुषों में यौन हार्मोन बढ़ाने, प्रजनन क्षमता बढ़ाने, मेटाबॉलिज्म और इम्यूनिटी को दुरुस्त करने के अलावा मांसपेशियों और हड्डियों का धनत्व बढ़ाने के साथ-साथ दर्द या अन्य दवाइयों के रूप में प्रयोग करते हैं।

दूध से बने होते प्रोटीन पाउडर : प्रोटीन पाउडर मुख्य रूप से सोया, दूध या पशु प्रोटीन से बने होते हैं और अधिक समय तक वर्कआउट के बाद शरीर की प्रोटीन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए इसका उपयोग करते हैं। दूध से बने प्रोटीन पाउडर का सबसे अधिक उपयोग किया जाता है क्योंकि वे हाई प्रोटीन का एक आसान और सुविधाजनक स्रोत हैं और शाकाहारियों के लिए सबसे उपयोगी हैं।

स्टेरॉयड और प्रोटीन में क्‍या फर्क है : जनरल फिजिशियन डॉ प्रवीण दाणी के मुताबिक बॉडी बनाने में वास्तव में प्रोटीन बहुत फायदेमंद है और यह पोषण का एक सुरक्षित स्रोत भी है, क्योंकि वे प्रतिरक्षा प्रणाली को नुकसान नहीं पहुंचाते। यदि इनका सेवन सही तरीके से और सही मात्रा में किया जाए तो ये किसी भी स्वास्थ्य समस्या की वजह नहीं बनते हैं। हालांकि स्टेरॉयड के लिए ऐसा नहीं कहा जा सकता है। स्टेरॉयड मुख्य रूप से टेस्टोस्टेरोन का एक बनावटी संस्करण है। वे कृत्रिम रूप से मांसपेशियों के विकास में मदद करते हैं। स्टेरॉयड के सेवन से हृदय का आकार बढ़ भी सकता है। इससे दिल की आसपास मौजूद सतह वानी वाल्स मोटी होने लगती हैं, जिससे वह सही तरीके से काम नहीं कर पाता है और ब्लड सर्कुलेशन में दिक्कत होती है।

स्टेरॉयड से क्‍या नुकसान होते हैं?
  • स्टेरॉयड के ज्‍यादा सेवन से सबसे ज्‍यादा दिल को खतरा होने की आशंका रहती है। 
  • एनाबोलिक स्टेरॉयड के सेवन करने से कोरोनरी धमनी रोग होने की संभावना बढ़ जाती है।
  • स्टेरॉयड के सेवन दिल धमनी के साथ ठीक से तालमेल नहीं बैठा पाता है।
  • स्टेरॉयड के सेवन से धमनियों में प्लेक गंदगी या मैल बढ़ जाता है।
  • प्लेक का बढ़ना हृदय रोगों का एक प्रमुख कारक है।
  • स्टेरॉयड लेना दिल को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकता है।
  • स्टेरॉयड किडनी फेल होने, लीवर की क्षति, टेस्टिकल्स के सिकुड़ने के लिए भी जिम्मेदार है।
  • स्टेरॉयड के साइड इफेक्ट्स इसके सेवन को बंद करने के बाद भी कई वर्षों तक रह सकते हैं।

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