Issue of obscenity raised in Rajya Sabha : राज्यसभा में बुधवार को भारतीय जनता पार्टी के सदस्य सुशील कुमार मोदी ने ओटीटी (ओवर दि टॉप) मंचों पर प्रसारित कार्यक्रमों और धारावाहिकों में अश्लीलता परोसे जाने एवं हिंसा को महिमामंडित किए जाने का शून्यकाल में मुद्दा उठाया और उनके नियमन की मांग की, क्योंकि अब तक सरकार की ओर से ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है।
भाजपा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने शून्यकाल में यह मुद्दा उठाया और विभिन्न ओटीटी मंचों का जिक्र करते हुए कहा कि अभी 40 से ज्यादा ऐसे मंच हैं। भाजपा सदस्य ने कहा कि ज्यादातर मंचों पर हिंसा, अश्लीलता, गाली-गलौज की भरमार होती है।
उन्होंने कहा कि कई बार ऐसी अभद्रता होती है कि उन कार्यक्रमों को परिवार के साथ बैठकर देखना कठिन है। उन्होंने कहा कि अब देश के बड़े-बड़े कलाकार भी ऐसे कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं। सुशील मोदी ने कहा कि इन मंचों के बाजार के तेजी से बढ़ने का अनुमान है और 2027 तक इसके सात अरब डॉलर हो जाने की संभावना है।
उन्होंने कहा कि अभी तक स्वनियमन की व्यवस्था है जो प्रभावी नहीं है। उन्होंने मांग की कि भारत सरकार ऐसे मंचों के लिए नियामक बनाए क्योंकि अब तक सरकार की ओर से ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। शून्यकाल में ही भाजपा के ईरण्ण कडाडी ने कन्नड़ भाषा के विकास से जुड़ा मुद्दा उठाया। उन्होंने अपनी बात कन्नड़ भाषा में ही रखी।
बीजू जनता दल के मानस रंजन मंगराम ने ओडिशा के लोक नृत्यों के अस्तित्व को बचाने की मांग की। वहीं भाजपा के अनिल बोंडे ने लोहे को जंग लगने से बचाने के लिए जरूरी तकनीक अपनाए जाने की मांग की। भाजपा के ही कैलाश सोनी ने सर्राफा एवं हीरा कारोबारियों की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा उठाया और उन्हें पर्याप्त सुरक्षा दिए जाने की मांग की। उन्होंने मांग की कि ऐसे कारोबारियों को हथियारों के लाइसेंस दिए जाएं।
बीजू जनता दल के सस्मित पात्रा ने ओडिशा में अक्सर आने वाले चक्रवातों से होने वाले नुकसान का मुद्दा उठाया और मांग की कि राज्य में लागू होने वाली योजनाओं में केंद्र एवं राज्य की हिस्सेदारी में बदलाव किया जाए। उन्होंने मांग की कि ऐसी प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित राज्यों के लिए योजनाओं में हिस्सेदारी को तीन साल के लिए 90 अनुपात 10 कर दिया जाए।
बीजद के अमर पटनायक ने सड़क, रेल, बैंकिंग एवं डिजिटल क्षेत्र में ओडिशा के पीछे रहने का जिक्र किया और कहा कि इन क्षेत्रों में केंद्र ने उनके राज्य की ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया। शून्यकाल में ही कई सदस्यों ने विशेष उल्लेख के जरिए लोक महत्व के विभिन्न मुद्दे उठाए।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)