नई दिल्ली। चीनी सैन्य बलों ने पूर्वी लद्दाख के हॉट स्प्रिंग्स में टकराव वाले क्षेत्र से बुधवार को अपने सभी अस्थाई ढांचों को हटा दिया और अपने सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी कर दी। वहीं भारतीय सेना सैनिकों की वापसी पर पैनी नजर बनाए हुए है और क्षेत्र में उच्च स्तर की तत्परता बरत रही है। इस घटनाक्रम से अवगत लोगों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास टकराव वाले बिंदुओं से बलों की वापसी की प्रक्रिया के क्रियान्वयन की पुष्टि हो जाने के बाद दोनों सेनाओं के अगले कुछ दिन में क्षेत्र में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए आवश्यक तौर-तरीकों को अंतिम रूप देने के मकसद से विस्तृत वार्ता करने की उम्मीद है।
उन्होंने बताया कि पैंगोंग सो के फिंगर इलाकों से बलों की वापसी की प्रक्रिया शुरू हो गई। पैंगोग सो में दोनों पक्षों के बीच गतिरोध रहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीनी विदेश मंत्री वांग ई के बीच रविवार को टेलीफोन पर करीब दो घंटे हुई बातचीत के बाद सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया सोमवार को सुबह शुरू हुई।
वार्ता के दौरान दोनों पक्षों ने टकराव वाले सभी बिंदुओं से सैन्यबलों की तेजी से वापसी पर सहमति जताई, ताकि क्षेत्र में शांति कायम की जा सके। डोभाल और वांग सीमा संबंधी वार्ताओं के लिए विशेष प्रतिनिधि हैं। वार्ता के बाद गलवान घाटी, हॉट स्प्रिंग्स, गोग्रा और पैंगोंग सो के फिंगर इलाकों से बलों की वापसी की प्रक्रिया शुरू हो गई।
गोग्रा और हॉट स्प्रिंग्स टकराव वाले ऐसे बिंदु है, जहां पिछले आठ सप्ताह से दोनों देशों की सेनाओं के बीच संघर्ष की स्थिति बनी हुई है। सैन्य सूत्रों ने बताया कि जब तक चीन एलएसी के पास पीछे वाले सैन्य अड्डों से अपनी मौजूदगी में कटौती नहीं करता है, तब तक भारतीय सेना आक्रामक रुख बनाए रखेगी।
दोनों पक्षों ने पांच मई को शुरू हुए गतिरोध के बाद सैन्य मौजूदगी बढ़ाने के लिए अपने अग्रिम मोर्चों से दूर स्थित पीछे के सैन्य अड्डों पर हजारों अतिरिक्त बलों और टैंकों एवं तोपों समेत हथियारों को लाना शुरू कर दिया है।
सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर कहा, अब भरोसे की बात है। हम चौकसी कम नहीं करेंगे।कोर कमांडर स्तर की 30 जून को हुई वार्ता में लिए गए फैसले के अनुसार, दोनों पक्ष गतिरोध वाले अधिकतर इलाकों में तीन किलोमीटर का न्यूनतम बफर क्षेत्र बनाएंगे।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि चीनी बलों ने गलवान घाटी में गश्त बिंदु 14 से अपने शिविर पहले ही हटा लिए हैं और अपने बलों को वापस बुला लिया है। इसी घाटी में 15 जून को भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे।
चीनी बल के जवान भी हताहत हुए थे, लेकिन उसने इस बारे में जानकारी नहीं दी है। एक अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन के 35 जवान हताहत हुए हैं। क्षेत्र में तनाव कम करने के लिए पिछले कुछ सप्ताह से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर कई बार वार्ता हो चुकी है। हालांकि रविवार की शाम तक गतिरोध के अंत का कोई संकेत नहीं था।
सूत्रों ने बताया कि डोभाल-वांग की बैठक में सफलता मिली। दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच गत 30 जून को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की तीसरे दौर की वार्ता हुई थी जिसमें दोनों पक्ष गतिरोध को समाप्त करने के लिए प्राथमिकता के रूप में तेजी से और चरणबद्ध तरीके से कदम उठाने पर सहमत हुए थे।
लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की पहले दौर की वार्ता छह जून को हुई थी जिसमें दोनों पक्षों ने गतिरोध वाले सभी स्थानों से धीरे-धीरे पीछे हटने के लिए समझौते को अंतिम रूप दिया था जिसकी शुरुआत गलवान घाटी से होनी थी।हालांकि गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद स्थिति बिगड़ गई। इस घटना के बाद दोनों देशों ने एलएसी से लगते अधिकतर क्षेत्रों में अपनी-अपनी सेनाओं की तैनाती और मजबूत कर दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को लद्दाख का अचानक दौरा किया था। वहां उन्होंने सैनिकों का उत्साह बढ़ाते हुए कहा था कि विस्तारवाद के दिन अब लद गए हैं। उन्होंने कहा था कि इतिहास गवाह है कि विस्तारवादी ताकतें मिट गई हैं।
पूर्वी लद्दाख में लगभग दो महीने पहले तनाव उस समय बढ़ गया था जब पांच और छह मई को हिंसक झड़प में लगभग 250 चीनी और भारतीय जवान शामिल थे। पैंगोंग सो में हुई घटना के बाद नौ मई को उत्तरी सिक्किम में भी इसी तरह की घटना हुई थी।(भाषा)