नई दिल्ली। 72 थर्मल संयंत्रों के पास मात्र 3 दिन का कोयला बचा है। ऐसे में अगर इन संयंत्रों को जल्द ही कोयला उपलब्ध नहीं कराया गया चीन की तरह भारत में भी बिजली संकट गहरा सकता है। विशेषज्ञों ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय व अन्य एजेंसियों की तरफ से जारी कोयला उपलब्धता के आंकड़ों का आकलन कर विशेषज्ञों ने यह जानकारी दी है।
इन संयंत्रों में कुल खपत का 66.35 फीसदी बिजली उत्पादन होता है। अगर इन्हें समय पर कोयला उपलब्ध नहीं कराया गया तो कुल खपत में 33 फीसदी बिजली की कमी हो सकती है। बताया जा रहा है कि भारत आने वाली कोयले की एक बड़ी खेप चीन में अटकी हुई है।
सरकार के अनुसार, कोरोना से पहले अगस्त-सितंबर 2019 में देश में रोजाना 10,660 करोड़ यूनिट बिजली की खपत थी, जो अगस्त-सितंबर 2021 में बढ़कर 12,420 करोड़ यूनिट हो गई।
उस दौरान थर्मल पावर संयंत्रों में कुल खपत का 61.91 फीसदी बिजली उत्पादन हो रहा था। इसके चलते दो साल में इन संयंत्रों में कोयले की खपत भी 18% बढ़ चुकी है।
भारत कोयले का हाल : भारत में दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कोयले का भंडार है। देश की कुल बिजली मांग का करीब 70 फीसदी कोयले से ही आता है। कोल इंडिया दुनिया की सबसे बड़ी कोयला खनन कंपनी है। भारत दुनिया में कोयले का दूसरा सबसे बड़ा आयातक है।
क्यों गहराया संकट : कोरोना प्रतिबंधों में कमी आने के बाद देश में बिजली की मांग तेजी से बढ़ रही है। 7 जुलाई को यह अपने शीर्ष 200.57 गीगावॉट के स्तर पर पहुंच गई थी। यह मांग अब भी 190 गीगावॉट से ऊपर बनी हुई है।
जब देश में बिजली की मांग चरम पर थी, उस समय उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु और राजस्थान जैसे 4 बड़े राज्यों ने अपने अंतर्गत आने वाली बिजली इकाइयों के कोयला इस्तेमाल के लिए कोल इंडिया को किए जाने वाले भुगतान में चूक भी कर दी। इससे कोल इंडिया ने इनकी कोयला आपूर्ति कम कर दी। इससे बिजली संकट और गहरा गया।
उल्लेखनीय है कि कोयले की कमी की वजह से चीन में भी लोगों को इन दिनों बिजली संकट का सामना करना पड़ रहा है। यहां पावर प्लांट में बिजली नहीं बना पा रही है इस वजह से फैक्ट्रियों के साथ ही लोगों को घरों में इस्तेमाल के लिए भी पर्याप्त मात्रा में बिजली नहीं मिल पा रही है।