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बिहार चुनाव में इस बार कौन करेगा खेला? हर सीट पर कम होंगे औसत 25000 मतदाता

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वृजेन्द्रसिंह झाला

, मंगलवार, 29 जुलाई 2025 (11:58 IST)
Election Commission special intensive revision process of voter list in Bihar: इस बार का बिहार विधानसभा चुनाव पिछली बार की तुलना में कुछ खास होने जा रहे हैं। आम तौर पर देखा जाता है कि हर चुनाव में मतदाताओं संख्या में इजाफा होता है, लेकिन बिहार में इस बार 2020 के मुकाबले मतदाताओं की संख्या कम रहने वाली है। एक अनुमान के मुताबिक इस बार करीब 64 लाख मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट से हट जाएगा। निश्चित रूप से इसका व्यापक असर चुनाव परिणाम पर भी देखने को मिल सकता है। 
 
विपक्षी दलों का विरोध : राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस समेत बिहार के अन्य विपक्षी दल लगातार चुनाव आयोग की मतादात सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया यानी SIR का लगातार विरोध कर रहे हैं। उनका तर्क है कि इस प्रक्रिया के चलते बड़ी संख्‍या में मतदाता अपने वोट के हक से वंचित रह जाएंगे। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी तो चुनाव आयोग पर वोट चोरी का आरोप लगा चुके हैं। वहीं, चुनाव आयोग का कहना है कि बिहार की मतदाता सूची में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के नागरिकों के नाम भी पाए गए हैं। आयोग का कहना है कि इस प्रक्रिया का उद्देश्य फर्जी वोटरों को हटाकर और योग्य मतदाताओं को जोड़कर मतदाता सूची को शुद्ध करना है। इससे चुनाव की निष्पक्षता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी।
 
चुनाव आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान 22 लाख ऐसे मतदाताओं की पहचान हुई है, जिनकी मौत हो चुकी है, जबकि 36 लाख ऐसे लोग हैं जो स्थायी रूप से दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके हैं। इस प्रक्रिया के दौरान यह भी सामने आया है कि 7 लाख मतदाता ऐसे हैं, जिनका नाम एक से अधिक स्थानों पर मतदाता के रूप में दर्ज है। पिछले चुनाव के मुकाबले इस बार मतदाताओं की संख्या भी कम रहेगी। पिछली बार करीब 7 करोड़ 29 लाख मतदाता थे, जबकि इस बार करीब 7.24 करोड़ मतदाता होंगे। 
 
हर सीट पर घटेंगे करीब 25000 वोट : चूंकि इस चुनाव में करीब 64 लाख मतदाता कम होने की बात कही जा रही है, ऐसे में राज्य की सभी 243 सीटों पर औसतन करीब 25000 वोट कम हो जाएंगे। पिछले चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो 150 के लगभग ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जहां जीत का अंतर 25 हजार या उससे नीचे रहा है। इनमें 25 से ज्यादा सीटें ऐसी हैं जहां हार-जीत का अंतर 5000 या उससे कम रहा था। करीब 18 सीटों पर परिणाम 3000 से भी कम वोटों के आधार पर तय हुआ। आधा दर्जन सीटें ऐसी भी थीं, जहां हार-जीत का फासला महज 1000 वोटों से भी कम रहा है। 
 
परिणामों पर होगा असर : राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो यदि बड़ी संख्या में मतदाताओं के नाम हटाए जाते हैं, तो यह सीधे तौर पर चुनाव परिणामों को प्रभावित कर सकता है। विशेष रूप से यदि हटाए गए मतदाता किसी विशेष राजनीतिक दल के समर्थक हैं या किसी समुदाय से संबंधित हैं तो इससे वोटों का समीकरण बदल सकता है। दूसरी ओर, नए और योग्य मतदाताओं के जुड़ने से भी चुनावी परिदृश्य में बदलाव आ सकता है। इस प्रक्रिया में कुछ जटिलताएं भी देखने को मिल रही हैं। इस बार नए आवेदकों को अनिवार्य रूप से भारतीय नागरिकता की घोषणा और जन्मतिथि और स्थान का प्रमाण देना होगा। यदि वे भारत के बाहर पैदा हुए हैं, तो उन्हें भारतीय मिशन द्वारा जारी जन्म पंजीकरण का प्रमाण या नागरिकता पंजीकरण का प्रमाण देना होगा।
 
राज्य में वर्तमान में राजद सबसे बड़ी पार्टी है, जबकि भाजपा एक सीट के अंतर से दूसरे नंबर पर है। मुख्‍यमंत्री नीतीश की पार्टी तीसरे नंबर पर है। बहुमत के लिए किसी भी दल या गठबंधन को 122 सीटों की जरूरत रहेगी। फिलहाल यह कहना मुश्किल है कि मतदाताओं की संख्या घटने का लाभ सत्तारूढ़ दल को मिलेगा या विपक्ष को नुकसान उठाना पड़ सकता है, लेकिन एक बार जरूर तय है कि इस बार चुनाव परिणाम चौंकाने वाले होंगे। 

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