Manipur news: अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए मशहूर मणिपुर का 'कुरूप चेहरा' उस समय सामने आया जब राज्य में सेनापति जिले के एक गांव में 2 कुकी आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाया। कुछ नराधम उन 'असहाय' महिलाओं को हाथों में जकड़े हुए थे, वहीं उनके पीछे बेशर्म नरपशुओं की भीड़ उनका उत्साह बढ़ा रही थी।
यह दृश्य सदियों पहले हस्तिनापुर की राजसभा में हुए द्रौपदी के चीरहरण से भी ज्यादा वीभत्स था। क्योंकि उस समय तो राज सभागार की दीवारें और छत द्रौपदी की आबरू (सिर्फ बाहरी लोगों से) को ढक रही थीं, कुछ सभासदों का विरोध भी था, लेकिन यहां तो खुले आसमान के नीचे इस कुकृत्य को अंजाम दिया गया। इन महिलाओं के लिए कोई कृष्ण भी नहीं आया। सिर्फ भीड़ थी तो दुशासनों और दुर्योधनों की।
मणिपुर 3 मई से ही सुलग रहा है, जब मेईती समुदाय ने अपना जनजातीय दर्जा बहाल करने की मांग की थी। इसके बाद राज्य में हिंसा और आगजनी का जो नंगा नाच चला, वह किसी भी सभ्य समाज के मुंह पर कालिख पोतने जैसा है। मणिपुर में अब तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। कितने ही घरों को आग के हवाले कर दिया है। हजारों लोग राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। सैकड़ों लोग मणिपुर से भागकर पास के राज्यों में शरण ले चुके हैं।
20 साल की एक लड़की गंगटे की आप बीती दिल दहलाने वाली है। 3 मई को मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद, गंगटे और उनका परिवार इम्फाल में एक रिश्तेदार के घर चले गए थे और अगली सुबह घर लौट आए। जब हम घर लौटे, तो पता चला कि नजदीक ही सीआरपीएफ का एक राहत शिविर था। इसलिए, हमने कुछ आवश्यक और महत्वपूर्ण दस्तावेज लेकर वहां जाने का फैसला किया।
मेरी मां, भाई, भाभी, चचेरे भाई और चाची अपने एक साल के बच्चे के साथ एक कार से चले गए थे। उसके कुछ चचेरे भाई दूसरी कार में सवार थे। जब हम निकले तो कुछ समय के लिए सड़कें खाली थीं। शिविर से लगभग आधा किलोमीटर दूर भीड़ ने हमारी कार को घेर लिया। हमें कार से बाहर खींच लिया। उन्होंने कार पर मिट्टी का तेल छिड़ककर आग लगा दी। भीड़ ने मेरे भाई को पीटना शुरू कर दिया। हम उसे बचाने की कोशिश कर रहे थे। हमसे हमारी जाति के बारे में सवाल किए गए। हमने उन्हें बताया कि हम मिजो हैं और उन्होंने लगभग हमें जाने ही दिया था। उनमें से कुछ ने हम पर शक किया और हमें रोक लिया।
दूसरी कार में सवार परिजन भागने में सफल रहे। बाद में, गंगटे और उनकी मां भी भागने में सफल रहीं और पास की एक इमारत में छिप गईं। भीड़ ने हमें 10 मिनट के भीतर ढूंढ लिया। उन्हें लोहे की छड़ों और लाठियों से लैस पुरुषों द्वारा घसीटा गया। मैं उन लोगों से बचकर भागने से पहले एक आखिरी बार मुड़ी और देखा कि मेरा भाई खून से लथपथ पड़ा था। कुछ समय बाद एक पुलिस अधिकारी ने मेरी कॉल का जवाब दिया और कहा कि उन्होंने उस जगह से एक पुरुष और एक बुजुर्ग महिला के शव उठाए हैं। मैं समझ गई कि यह मेरी मां और मेरा भाई था। यह एक ही कहानी है, जो सामने आई है। ऐसी कई कहानियां होंगी, जो हिंसा और आग की लपटों में दफन होकर रह गई होंगी।
इस मामले में राज्य सरकार की निष्क्रियता और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चुप्पी पर लगातार सवाल उठते रहे हैं। कई लोगों ने तो यहां तक सवाल उठाया क्या मणिपुर भारत का हिस्सा नहीं है? राज्य की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने 20 जुलाई को चुप्पी तोड़ी। सिंह ने कहा- बहुत लोग मारे गए। हजारों FIR दर्ज हुई हैं। आप लोगों को एक केस दिख रहा, यहां ऐसे सैकड़ों केस हैं। ये वीडियो कल लीक हुआ। इसीलिए इंटरनेट बैन किया हुआ है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार दोषियों को मौत की सजा दिलाने की कोशिश करेगी। मुख्यमंत्री के बयान से अनुमान लगा सकते हैं कि वह जनता को कैसी सुरक्षा उपलब्ध करवा रहे हैं।
पीएम मोदी ने भी निर्वस्त्र महिलाओं का वीडियो सामने आने के बाद अन्तत: चुप्पी तोड़ी। उन्होंने कहा कि मेरा हृदय पीड़ा और क्रोध से भरा हुआ है। मणिपुर की जो घटना सामने आई है, वह किसी भी सभ्य समाज को शर्मसार करने वाली है। पाप करने वाले, गुनाह करने वाले कितने हैं और कौन-कौन हैं, वह अपनी जगह पर है, लेकिन बेइज्जती पूरे देश की हो रही है। 140 करोड़ देशवासियों को शर्मसार होना पड़ रहा है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि मोदी की टिप्पणी काफी तीखी है, लेकिन ऐसी प्रतिक्रिया पहले आ जाती तो शायद मणिपुर के जो आज हालात हैं, वह इतने बुरे नहीं होते। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस घटना को संज्ञान लिया है, लेकिन कुछ समय पहले शीर्ष अदालत ने ही कुकी समुदाय की सुरक्षा मांगने से जुड़ी याचिका पर तत्काल सुनवाई से इंकार कर दिया था। लेकिन, क्या पीएम के पीड़ा और गुस्सा व्यक्त करने से पूरे मामले की इतिश्री हो जाएगी? क्यों नहीं इस पूरे मामले से निपटने में नाकाम रहे मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए? क्या प्रधानमंत्री मोदी यह हिम्मत दिखा पाएंगे?
Edited by: Vrijendra Singh Jhala