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महिला बंदियों के नाम 'तिनका-तिनका बंदिनी अवॉर्ड'

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हमें फॉलो करें Tinka Tinka Bandini award
, गुरुवार, 9 मार्च 2017 (11:05 IST)
नई दिल्ली। 8 महिलाओं को 'तिनका-तिनका बंदिनी अवॉर्ड 2017' के लिए चुना गया है। 2016 में शुरू किए गए इन पुरस्कारों का मकसद जेलों में सृजन और सकारात्मकता को बढ़ावा देना है।
छत्तीसगढ़ की बिलासपुर जेल में बंद कमल रेखा पांडे को इस साल 'तिनका-तिनका बंदिनी  अवॉर्ड' का पहला पुरस्कार दिया गया है। पिछले 12 साल से जेल में बंद कमल ने अपने  कानूनी ज्ञान के आधार पर जेल की 14 महिलाओं की रिहाई में बड़ी भूमिका निभाई। अपनी  बहनों के साथ जेल में बंद कमल रेखा पांडे ने जेल में आकर कानूनी शिक्षा प्राप्त की।
 
गुजरात की वडोदरा जेल में आजीवन कारावास की सजा भुगत रही 26 साल की परवीन बानू  नियाज हुसैन मालेक को जेल बंदियों को कम्प्यूटर का ज्ञान देने और उन्हें खिलौने बनाना  सिखाने के लिए दूसरा पुरस्कार दिया गया है। पूरी जेल उन्हें मास्टर ट्रेनर मानती है। 4  महिलाओं को जेल में महिला बंदियों और उनके बच्चों की देखरेख करने के विशेष योगदान के  लिए विशेष पुरस्कार दिया जा रहा है। पश्चिम बंगाल के बेहरामपुर केंद्रीय कारागार में 14 साल  से बंदी 48 वर्षीय अनिता बनर्जी को जेलबंदियों की अभूतपूर्व सेवा के लिए चुना गया है। 
 

• चुनी गईं आठों बंदिनी आजीवन कारावास पर
• छत्तीसगढ़ की कमल रेखा पांडे को 14 बंदियों की रिहाई में योगदान के लिए सम्मान
• 4 महिला बंदियों को जेल में महिलाओं और उनके बच्चों की चिकित्सा के लिए चुना गया
• मौत की सजा पा चुकीं नेहा और एक ट्रांसजेंडर भी सम्मानित
• विदेश मंत्रालय के सचिव ज्ञानेश्वर मुले ने सम्मान किए जारी
• इन सम्मानों को जेल सुधार विशेषज्ञ वर्तिका नंदा ने 2016 में शुरू किया

छत्तीसगढ़ की बिलासपुर जेल में आजीवन कारावास में बंद 33 वर्षीय वंदना जैकब एक सफल  नर्स साबित हई है। वह अपनी मां के साथ जेल में आजीवन कारावास पर है। हिन्दी और  समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर रह चुकी वंदना सेना के एक डॉक्टर की बेटी है और जेल में रहते  हुए पीएचडी भी कर रही है। 
 
उत्तरप्रदेश के शहर फिरोजाबाद की जेल में बंद फामिदा जेल के 2 बेड के अस्पताल की पूरी  जिम्मेदारी संभालती है। जेल प्रशासन का मानना है कि जेल की महिलाओं और बच्चों के लिए  उसकी सेवा बेहद प्रशंसनीय है। 32 साल की सरिता को भी जेल में एक कुशल नर्स की  जिम्मेदारी निभाने के लिए चुना गया है। लखनऊ (उप्र) के नारी निकेतन में वह अपनी मां और  दोस्त के साथ बंद है और अपनी युवा बेटी की याद में अब बंदियों की सेवा को ही अपना धर्म  मानती है। 
 
बिलासपुर की 34 वर्षीय शकीला ट्रासजेंडर है। जेल में उसने खिलौने बनाने सीखे। अब वह पूरी  जेल को यह कला सिखाती है। इन खिलौनों की बिक्री की वजह से बंदियों को आर्थिक सहायता  मिली है। उसने आजीवन कारावास को एक चुनौती के तौर पर स्वीकार किया है। 
 
मध्यप्रदेश के शहर इंदौर की जिला जेल में बंद 28 साल की नेहा अब जेल में जरदोरी और  ब्यूटीशियन का काम सिखाती है और अपने व्यवहार से बंदियों का मनोबल बढ़ाने में अक्सर  सफल रहती है। आजीवन कारावास की सजा भुगत रही नेहा को फांसी की सजा सुनाई जा चुकी  है। उसे 'तिनका-तिनका बंदिनी अवॉर्ड' के विशेष वर्ग में सम्मानित किया जा रहा है। 
 
तिनका-तिनका के बारे में : तिनका-तिनका जेल सुधार विशेषज्ञ वर्तिका नंदा की जेलों पर अपनी  तरह की पहली श्रृंखला है। भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से 'स्त्री शक्ति पुरस्कार' से  सम्मानित वर्तिका की किताब और गाना- 'तिनका-तिनका तिहाड़' और 'तिनका-तिनका डासना' ने  कई कीर्तिमान बनाए। उनकी किताब 'तिनका-तिनका तिहाड़' लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में  शामिल है। 
 
कैदियों के लिए देश के पहले खास सम्मान- तिनका-तिनका इंडिया अवॉर्ड्स और तिनका-तिनका  बंदिनी अवॉर्ड्स जेलों में सृजन और बदलाव लाने की बड़ी मुहिम का हिस्सा हैं। इन्हें वर्तिका  नंदा ने शुरू किया है। वे दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज में पत्रकारिता विभाग की  अध्यक्ष हैं और अपराध बीट की देश की प्रमुख पत्रकारों में रही हैं।

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