Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

ट्रेन-18 ने जीता दुनिया का दिल, कई देशों ने दिखाई इसमें दिलचस्पी

हमें फॉलो करें ट्रेन-18 ने जीता दुनिया का दिल, कई देशों ने दिखाई इसमें दिलचस्पी
नई दिल्ली , शुक्रवार, 18 जनवरी 2019 (23:00 IST)
नई दिल्ली। देश में 180 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली पहली रेलगाड़ी 'ट्रेन-18' को चलाने में भले ही तमाम पेचीदगियों से गुजरना पड़ रहा हो लेकिन इसने तीसरी दुनिया के देशों में जबरदस्त आकर्षण पैदा कर दिया है। देश में बुलेट ट्रेन परियोजना को बिछाने में मदद दे रहे जापान सहित तमाम देशों ने रेलवे से संपर्क करके इसे देखने की मंशा जाहिर की है।
 
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि आजादी के बाद भारत में रेलवे कोचों के विकास यात्रा के 5वें चरण में विकसित 'ट्रेन-18' विश्व का सबसे सस्ता सेमी हाईस्पीड ट्रेन सेट है। 16 कोचों वाले ट्रेन सेट की लागत मात्र 100 करोड़ रुपए है। इस हिसाब से प्रति कोच लागत करीब 6 से 6.50 करोड़ रुपए है जबकि मेट्रो ट्रेन के कोच करीब 10 करोड़ रुपए के हैं।
 
सूत्रों का यह भी कहना है कि आगे 'ट्रेन-18' के निर्माण के ऑर्डर मिलने पर 100 करोड़ रुपए की लागत घटकर 80 करोड़ रुपए तक आ सकती है, तब 5 करोड़ रुपए प्रति कोच की लागत पर ट्रेन सेट बनाना किसी भी देश के लिए संभव नहीं होगा और भारत इस क्षेत्र में अकेला खिलाड़ी होगा।
 
उन्होंने बताया कि दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य एशिया, पश्चिम एशिया, अफ्रीका एवं दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप के अनेक देशों के राजनयिकों ने 'ट्रेन-18' को देखने के लिए भारी दिलचस्पी दिखाई है। दुनिया में सस्ती हाईस्पीड रेल परियोजनाएं क्रियान्वित करने का दावा करने वाली चीनी रेल कंपनियां भी 'ट्रेन-18' को लेकर भारी उत्सुकता व्यक्त कर चुकी हैं। वे 'ट्रेन-18' को अपने लिए चुनौती के रूप में देख रही हैं।
 
सूत्रों ने कहा कि दुनिया में रेलवे के रोलिंग स्टॉक यानी कोचों, वैगनों आदि का बाजार 200 अरब डॉलर का है और यह लगातार विकसित हो रहा है जिसमें भारत की भागीदारी नगण्य है। 'ट्रेन-18' के साथ भारत इस बाजार में प्रवेश करने जा रहा है तथा हमारा मानना था कि नई रेल तकनीक के लिए विकसित देशों की ओर देखने वाले दुनिया के तमाम विकासशील देशों को यह ट्रेन आकर्षित करेगी और भारत को ऑर्डर मिलेंगे।
 
उन्होंने कहा कि उनका यह अंदाजा बिलकुल सही साबित हुआ है। कई देशों ने इसे खरीदने की इच्छा का इजहार  किया है हालांकि सौदे पर अभी बातचीत शुरू नहीं होने के कारण उन देशों के नाम बताना अभी मुनासिब नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक मौके पर 'ट्रेन-18' एवं मेट्रो कोच के निर्माण की क्षमता को लेकर अगली हेड्स ऑफ  मिशन (दूतावासों/उच्चायोग के प्रमुखों) की बैठक में एक प्रेजेंटेशन दिखाने को कहा है।
 
सूत्रों ने कहा कि वे उत्तर अमेरिका और यूरोप में भी 'ट्रेन-18' को प्रदर्शित करने एवं ऑर्डर हासिल करने की  इच्छा रखते हैं और इस बारे में अपेक्षित कदम उठाएंगे। चेन्नई में इंटीग्रल कोच फैक्टरी में 'मेक इन इंडिया' के तहत रिकॉर्ड 18 माह में बनकर तैयार हुई 'ट्रेन-18' को नई दिल्ली से वाराणसी के बीच चलाने का फैसला हुआ है, जो मार्ग में कानपुर एवं इलाहाबाद जंक्शन ठहरेगी लेकिन इस गाड़ी के चलाने की तारीख का मामला अभी तक लटका है।
 
बताया गया है कि इलाहाबाद जंक्शन से वाराणसी के वाया रामबाग के मार्ग में विद्युतीकरण का कार्य चल रहा  है। यह कार्य इस माह के आखिर तक पूरा होने के बाद ही गाड़ी को चलाया जाएगा। इतना ही नहीं, गाड़ी के  किराए का भी निर्धारण नहीं हो पाया है। कैटरिंग सुविधा के लिए गाड़ी की डिजाइन में भी थोड़ा बदलाव किया जा  रहा है। (वार्ता)
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सवारी गाड़ियों के स्‍थान पर रेलवे चला सकती है मेमू ट्रेन, जानिए क्या है इसकी रफ्तार