चेन्नई। देश की पहली बिना इंजन की रेलगाड़ी 'ट्रेन-18' का सोमवार को यहां ट्रायल रन किया गया। इस ट्रेन को चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्टरी में तैयार किया गया है।
ट्रेन-18 के दोनों छोरों का डिजाइन परंपरागत रेलगाड़ी से काफी अलग है और इसमें अलग से इंजन लगाने की जरूरत नहीं पड़ती। इस 'सेल्फ प्रोपेल्ड' ट्रेन के सभी कोच वातानुकूलित कुर्सीयान है, जिससे उम्मीद जताई जा रही है कि यह शताब्दी एक्सप्रेस के विकल्प के तौर पर सामने आ सकती है।
इसमें 16 कोच होंगे और 1128 सीटें हैं जो किसी भी अन्य कुर्सीयान की तुलना में बहुत अधिक हैं क्योंकि इसमें इंजन और दो पॉवर कार नहीं हैं। यह 160 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से चल सकती है जबकि शताब्दी की गति 130 किलोमीटर प्रति घंटा है। इससे यात्रा का समय भी बचेगा।
इस ट्रेन को रिकॉर्ड 18 महीने में विकसित किया गया है जबकि आम तौर पर ऐसी रेलगाड़ियों के निर्माण में दो से तीन वर्ष का समय लगता है। इसमें आधुनिक ब्रेकिंग सिस्टम के कारण 30 फीसदी तक बिजली की बचत होती है।
इस ट्रेन को 100 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया है, जो इस ट्रेन को विदेश से मंगाए जाने की स्थिति में लगभग दोगुना यानी 200 करोड़ रुपए होता। रेलगाड़ी में लगे 80 फीसदी कलपुर्जे भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी 'मेक इन इंडिया' के तहत देश में ही बनाए गए हैं। (वार्ता)