नई दिल्ली। इसराइल की साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ द्वारा तैयार पेगासस स्पाईवेयर पर भारत में बवाल मचा हुआ है। दावा किया जा रहा है कि इस स्पाईवेयर की मदद से भारत में कई पत्रकारों और चर्चित हस्तियों के फोन की जासूसी हो रही है। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख ने मामले को बेहद चिंताजनक करार किया। उन्होंने कहा कि सरकारें ऐसी निगरानी तकनीकों पर तत्काल लगाम लगाएं जिससे मानवाधिकारों का उल्लंघन होता हो।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार की उच्चायुक्त मिशेल बैचलेट ने एक बयान में कहा कि मीडिया खबरों से पता चला है कि इजरायल स्थित एनएसओ ग्रुप के सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल दुनिया भर के पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और राजनीतिक विरोधियों की जासूसी करने के लिए किया जा रहा है। ये मानवाधिकारों के लिए चिंताजनक है।
उन्होंने कहा कि सरकारों को अपनी उन निगरानी तकनीकों पर तत्काल लगाम लगाने की जरूरत है, जिनसे मानवाधिकारों का उल्लंघन होता हो। उन्हें दूसरों की बनाई गई सर्विलांस टेकनीक के चलते होने वाले साइबर अटैक से बचाने के लिए ठोस कार्रवाई करनी चाहिए।
गौरतलब है कि मोदी सरकार में मंत्री अश्विनी वैष्णव और प्रह्लाद सिंह पटेल, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व निर्वाचन आयुक्त अशोक लवासा और चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर उन लोगों में शामिल हैं, जिनके फोन नंबरों को इजराइली स्पाइवेयर के जरिये हैकिंग के लिए सूचीबद्ध किया गया था।
पेगासस को लेकर मचे हंगामे के बीच पेगासस स्पाईवेयर को तैयार करने वाली इसराइल की साइबर सुरक्षा कंपनी एनएसओ ने इस विवाद को अंतर्राष्ट्रीय साजिश करार दिया।