बुधवार को मोदी कैबिनेट ने बैठक में नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट की बैठक में बिल को मंजूरी मिलने के बाद अब इसे संसद में पेश किया जाएगा। पेश हैं बिल से जुड़ी 10 खास बातें-
1. भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए देश में 11 साल निवास करने वाले लोग योग्य होते हैं। नागरिकता संशोधन बिल में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों के लिए निवास अवधि की बाध्यता को 11 साल से घटाकर 6 साल करने का प्रावधान है। बिल के जरिए मौजूदा कानूनों में संशोधन किया जाएगा ताकि चुनिंदा वर्गों के गैरकानूनी प्रवासियों को छूट प्रदान की जा सके।
2. नागरिकता बिल में इस संशोधन से बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिन्दुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेजों के भी भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा।
3. इन समुदायों के उन लोगों को नागरिकता दी जाएगी, जो बीते 1 से लेकर 6 साल तक में भारत आकर बसे हैं। फिलहाल भारत की नागरिकता हासिल करने के लिए यह अवधि 11 साल की है।
4. नए विधेयक में अन्य संशोधन भी किए गए हैं, ताकि 'गैरकानूनी रूप से भारत में घुसे' लोगों तथा पड़ोसी देशों में धार्मिक अत्याचारों का शिकार होकर भारत में शरण लेने वाले लोगों में स्पष्ट रूप से अंतर किया जा सके।
5. असम में भाजपा के साथ सरकार चला रहा असम गण परिषद (अगप) भी नागरिकता संशोधन बिल को स्थानीय लोगों की सांस्कृतिक और भाषायी पहचान के खिलाफ बताते हुए इसका विरोध कर रहा है। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कषगम, समाजवादी पार्टी, वामदल तथा राष्ट्रीय जनता दल इस बिल के विरोध में हैं।
6. असम में एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया भी जारी है। ऐसे में नागरिकता संशोधन बिल लागू होने की स्थिति में एनआरसी के प्रभावहीन हो जाने का हवाला देते हुए लोग विरोध कर रहे हैं।
7. गैर मुस्लिम 6 धर्म के लोगों को नागरिकता प्रदान करने के प्रावधान को आधार बना कांग्रेस और ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट धार्मिक आधार पर नागरिकता प्रदान किए जाने का विरोध कर रहे हैं। नागरिकता अधिनियम में इस संशोधन को 1985 के असम करार का उल्लंघन भी बताया जा रहा है जिसमें वर्ष 1971 के बाद बांग्लादेश से आए सभी धर्मों के नागरिकों को निर्वासित करने की बात थी।
8. नागरिकता (संशोधन) विधेयक का संसद के निचले सदन लोकसभा में आसानी से पारित हो जाना तय है, लेकिन राज्यसभा में, जहां केंद्र सरकार के पास बहुमत नहीं है, इसका पारित हो जाना आसान नहीं होगा।
9. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बिल को लेकर मोदी सरकार पर बड़ा हमला किया है। ओवैसी ने कहा कि यदि इस लागू किया जाता है तो भारत इसराइल बन जाएगा जिसे 'भेदभाव' करने के लिए जाना जाता है।
10. देश के पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक का विरोध किया जा रहा है। इन राज्यों की चिंता है कि पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश से बड़ी संख्या में आए हिन्दुओं को नागरिकता प्रदान की जा सकती है।