Union Carbide waste burnt in Pithampur: मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के निर्देश पर पीथमपुर के एक अपशिष्ट निपटान संयंत्र में भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने का बचा 307 टन कचरा खाक हो गया है। इसके साथ ही, भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार कारखाने का कुल 337 टन कचरा भस्म हो गया है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एक अधिकारी ने बताया कि धार जिले के संयंत्र में तीन परीक्षणों के दौरान यूनियन कार्बाइड कारखाने का 30 टन कचरा पहले ही जलाया जा चुका है।
गैस रिसाव में 5 हजार से ज्यादा लोगों की हुई थी मौत : भोपाल में दो और तीन दिसंबर 1984 की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का रिसाव हुआ था। इससे कम से कम 5 हजार 479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे। इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में गिना जाता है।
कुल 307 टन कचरा जलाया गया : राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी श्रीनिवास द्विवेदी ने बताया कि पीथमपुर में एक निजी कंपनी द्वारा संचालित अपशिष्ट निपटान संयंत्र में यूनियन कार्बाइड कारखाने के बचे 307 टन कचरे को भस्म किए जाने की प्रक्रिया 5 मई को देर शाम 7 बजकर 45 मिनट के आसपास शुरू हुई थी, जो रविवार (29 जून) और सोमवार (30 जून) की दरमियानी रात 1:00 बजे समाप्त हो गई।
उन्होंने बताया कि उच्च न्यायालय के 27 मार्च को जारी निर्देश के मुताबिक यूनियन कार्बाइड के बचे कचरे को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के तकनीकी विशेषज्ञों की निगरानी में पीथमपुर के संयंत्र में 270 किलोग्राम प्रति घंटे की अधिकतम दर से जलाया गया। द्विवेदी ने बताया कि इस कचरे को भस्म किए जाने के दौरान पीथमपुर के संयंत्र से अलग-अलग गैसों और कणों के उत्सर्जन की एक ऑनलाइन तंत्र द्वारा वास्तविक समय में निगरानी की गई।
क्या है प्रदूषण बोर्ड के अधिकारियों का दावा : उन्होंने दावा किया कि इस संयंत्र में यूनियन कार्बाइड कारखाने का कचरा जलाए जाने के दौरान तमाम उत्सर्जन मानक सीमा के भीतर पाए गए। कचरा भस्म किए जाने के दौरान आस-पास के इलाकों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर किसी विपरीत असर के बारे में हमारे पास कोई सूचना नहीं है। द्विवेदी के मुताबिक, यूनियन कार्बाइड कारखाने का कुल 337 टन कचरा जलने के बाद निकली राख और अन्य अवशेषों को बोरों में सुरक्षित तरीके से भरकर संयंत्र के लीक-प्रूफ स्टोरेज शेड में रखा जा रहा है।
उन्होंने बताया कि इन अवशेषों को जमीन में दफनाने के लिए तय वैज्ञानिक प्रक्रिया के तहत विशेष सुविधा (लैंडफिल सेल) का निर्माण कराया जा रहा है और यह काम नवंबर तक पूरा होने की उम्मीद है। द्विवेदी ने कहा कि सबकुछ ठीक रहा, तो दिसंबर तक इन अवशेषों का भी निपटारा कर दिया जाएगा। इससे पहले, इन अवशेषों का वैज्ञानिक तरीके से उपचार किया जाएगा ताकि इन्हें दफनाए जाने से आबो-हवा को कोई नुकसान न पहुंचे।
प्रदेश सरकार के मुताबिक, यूनियन कार्बाइड कारखाने के कचरे में इस बंद पड़ी इकाई के परिसर की मिट्टी, रिएक्टर अवशेष, सेविन (कीटनाशक) अवशेष, नेफ्थाल अवशेष और अर्द्ध प्रसंस्कृत अवशेष शामिल थे। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, वैज्ञानिक प्रमाणों के अनुसार इस कचरे में सेविन और नेफ्थाल रसायनों का प्रभाव पहले ही लगभग नगण्य हो चुका था। बोर्ड के मुताबिक, फिलहाल इस कचरे में मिथाइल आइसोसाइनेट गैस का कोई अस्तित्व नहीं था और इसमें किसी तरह के रेडियोधर्मी कण भी नहीं थे।
उल्लेखनीय है कि यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाने के लिए जब उसे पीथमपुर स्थित एक निजी कंपनी में लाया गया था तब यहां काफी विरोध हुआ था। स्थानीय लोगों ने इसके धरना और प्रदर्शन भी किए थे, लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद इसे अंतत: जला दिया गया। (एजेंसी/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala