नई दिल्ली। एक तरफ राहुल और प्रियंका गांधी लगातार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा सरकार पर
निशाना साध रहे हैं, वहीं बंगाल में कांग्रेस ने अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) से
गठबंधन कर अपनी ही मुश्किल बढ़ा ली है।
पिछले दिनों से कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ विद्रोही तेवर दिखा रहे हैं जी-23 के नेताओं में से एक आनंद शर्मा
ने आईएसएफ से गठबंधन को लेकर पार्टी पर सवाल उठाए हैं। शर्मा ने ट्वीट कर कहा कि आईएसएफ और ऐसे अन्य दलों से साथ कांग्रेस का गठबंधन पार्टी की मूल विचारधारा, गांधीवाद और नेहरूवादी धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है, जो कि कांग्रेस पार्टी की आत्मा है। इन मुद्दों पर कांग्रेस कार्यसमिति में चर्चा होनी चाहिए थी।
एक अन्य ट्वीट में शर्मा ने कहा कि सांप्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई में कांग्रेस सेलेक्टिव नहीं हो सकती है। हमें सांप्रदायिकता के हर रूप से लड़ना है। पश्चिम बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की उपस्थिति और समर्थन शर्मनाक है, उन्हें अपना पक्ष स्पष्ट करना चाहिए।
शर्मा द्वारा सवाल उठाए जाने के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हम एक राज्य के प्रभारी हैं और कोई भी फैसला बिना सहमति के बिना नहीं करते। इससे पहले फुरफुरा शरीफ के सिद्दीकी का समर्थन टीएमसी को हासिल था, लेकिन इस बार उन्होंने अपना अलग राजनीतिक मोर्चा बना लिया है। फुरफुरा शरीफ का राज्य की कई सीटों पर प्रभाव है।